महासमुंद, 26 जुलाई 2024 : महासमुन्द जिले की 292 ग्राम पंचायतों को टीबी मुक्त घोषित किया गया है। इस उपलब्धि के लिए भारत सरकार ने इन पंचायतों को ‘टीबी मुक्त पंचायत’ प्रमाण पत्र प्रदान किया है। इस महत्वपूर्ण मील के पत्थर पर कलेक्टर प्रभात मलिक ने सभी संबंधित अधिकारियों, स्वास्थ्य कर्मियों, और ग्रामीणों को बधाई दी है।
राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले ने 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया है। यह लक्ष्य संयुक्त राष्ट्र संघ के सतत विकास लक्ष्यों (SDG) द्वारा निर्धारित समय सीमा 2030 से पांच वर्ष पहले हासिल करने का है। कलेक्टर प्रभात मलिक ने कहा कि यह सफलता सामुदायिक सहभागिता और प्रभावी स्वास्थ्य सेवाओं के परिणामस्वरूप संभव हो सकी है।
टीबी उन्मूलन के इस अभियान में जिले की स्वास्थ्य विभाग, पंचायत प्रतिनिधियों, स्वयंसेवी संगठनों और ग्रामीणों ने मिलकर मेहनत की है। नियमित जांच, समय पर उपचार, और जन जागरूकता अभियानों के माध्यम से टीबी के मामलों की पहचान और उपचार संभव हो सका।
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महासमुन्द जिले की इस सफलता से यह स्पष्ट होता है कि उचित योजना, सामुदायिक समर्थन, और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार के माध्यम से टीबी जैसे गंभीर रोग पर नियंत्रण पाया जा सकता है। जिले के इस प्रयास से अन्य जिलों को भी प्रेरणा मिलेगी और वे भी टीबी उन्मूलन के लक्ष्य की ओर तेजी से अग्रसर होंगे।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मार्च 2023 को वाराणसी में आयोजित विश्व टीबी दिवस कार्यक्रम में टीबी मुक्त पंचायत पहल की गयी थी। के अंतर्गत, महासमुन्द जिले के इन 292 ग्राम पंचायतों ने मान्य संकेतकों का मापन एवं सत्यापन कर टीबी उन्मूलन के लक्ष्यों को प्राप्त किया। इस उपलब्धि के परिणामस्वरूप, छत्तीसगढ़ राज्य में महासमुन्द जिले ने प्रथम स्थान प्राप्त किया है।टीबी मुक्त ग्राम पंचायत का प्रमाण पत्र जिला कलेक्टर प्रभात मलिक द्वारा चयनित ग्राम पंचायतों को प्रदान किया जाएगा।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. पी. कुदेशिया, ने कहा कि इस कामयाबी में कलेक्टर प्रभात मलिक, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत एस. आलोक, सहित जिला क्षय उन्मूलन अधिकारी डॉ. विकास चन्द्राकर, और जिला कार्यक्रम प्रबंधक नीलू धृतलहरे की भी भूमिका सराहनीय है।
ग्राम पंचायतों के समग्र प्रयासों से “स्वस्थ गांव” की परिकल्पना को साकार करने हेतु टीबी मुक्त पंचायत अभियान की शुरुआत की गई थी। इस अभियान में घर-घर जाकर टीबी की स्क्रींनिग की गई और 331 निक्षय मित्र के रूप में आम नागरिक, जनप्रतिनिधि अधिकारी और कर्मचारियों ने टीबी मरीजों की सहायता के लिए भागीदारी सुनिश्चित की थी।