Exmi Bank: भारत को दक्षिणी अफ्रीका के दुर्लभ खनिज संसाधनों का लाभ उठाना चाहिए:

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जोहानिसबर्ग: एक्जमि बैंक की यहां जारी एक शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को दक्षिणी अफ्रीकी देशों के साथ रणनीतिक गठजोड़ बनाने की जरूरत है, जहां महत्वपूर्ण दुर्लभ पृथ्वी खनिजों का उत्पादन होता है। भारत-दक्षिण अफ्रीका विकास साझेदारी पर सीआईआई-एक्जÞमि बैंक क्षेत्रीय सम्मेलन में इस सप्ताह इंडिया एक्जÞमि बैंक की यह रिपोर्ट जारी की गई जो दक्षिणी अफ्रीका के साथ भारत के आर्थिक संबंधों पर केंद्रित है।

रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘भारत के विकास वित्त संस्थानों और अफ्रीकी विकास बैंक को इन वाणिज्यिक दुर्लभ तत्वों (आरईई) के विकास प्रयासों की जÞरूरतों को समझने के मकसद से दक्षिणी अफ्रीकी देशों की सरकारों के साथ मिलकर काम करना चाहिए और मूल्य श्रृंखला को विकसित करने के मकसद से कंपनियों का समर्थन करना चाहिए।’’ यह क्षेत्र लिथियम, ग्रेफाइट, कोबाल्ट, निकल, तांबा और अन्य दुर्लभ खनिजों से समृद्ध है।

इसमें कहा गया है, ‘‘ये सभी तत्व भविष्य की वैश्विक हरित अर्थव्यवस्था के निर्माण में आवश्यक हैं। इस प्रकार, भारत बैटरी और विद्युत वैल्यू चेन की मांग से लाभ उठाने के लिए अफ्रीकी खनन मूल्य श्रृंखला में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।’’

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है, ‘‘भारत महत्वपूर्ण खनिज संपत्ति प्राप्त करने के लिए संयुक्त अन्वेषण गतिविधियां चला सकता है। भारत सरकार द्वारा संचालित कंपनियां लिथियम और कोबाल्ट जैसी खनिज संपत्ति प्राप्त करने के लिए संयुक्त उद्यम बना सकती हैं जिससे 2030 तक बड़े पैमाने पर विद्युत वाहनों को अपनाने की भारत की योजना को बढ़ावा मिल सकता है।’’

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘कोबाल्ट और लिथियम के लिए भारत की आयात आवश्यकताओं को सुनिश्चित करने के लिए समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर कर संबंधित देशों के साथ रणनीतिक निवेश कोष या आयात निर्धारित किए जा सकते हैं।’’

आरईई में विशेष भौतिक और रासायनिक गुण होते हैं जो उन्हें उच्च-प्रौद्योगिकी उत्पादों के निर्माण में अपरिहार्य बनाते हैं और इस वजह से उन्हें महत्वपूर्ण धातुओं के रूप में वर्गीकृत किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया का आरईई बाजार काफी हद तक चीन द्वारा नियंत्रित है।

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