Mizoram Mine Accident : मिजोरम के हनथियाल जिले में एक पत्थर की खदान ढहने के मामले में एनजीटी ने अधिकारियों को फटकार लगाई है। इसके साथ ही मिजोरम के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में इस हादसे से जुड़े अन्य अधिकारियों के साथ एक संयुक्त समिति गठित करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही ग्रीन ट्रिब्यूनल ने यह भी कहा कि हम इस बात पर खेद व्यक्त करते हैं कि अधिकारियों द्वारा इतनी बड़ी मानवीय त्रासदी से निपटने में पर्याप्त संवेदनशीलता नहीं दिखाई गई।
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न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली न्यायाधिकरण की पीठ ने 28 नवंबर, 2022 को इस मामले में एक आदेश पारित किया था। अपने आदेश में ट्रिब्यूनल ने कहा था कि राज्य प्राधिकरण ठेकेदार फर्म के खिलाफ आवश्यक कठोर उपाय करके पीड़ितों को मुआवजे का वितरण सुनिश्चित कर सकते हैं। ऐसा न करने पर राज्य स्वयं मुआवजे के भुगतान के लिए उत्तरदायी होगा।
इसके अलावा ट्रिब्यूनल ने यह भी कहा था कि राज्य सरकार भी कानून के उल्लंघन के खिलाफ उचित कड़े कदम उठा सकती है। साथ ही, मामले में राज्य के अधिकारियों द्वारा की जाने वाली कार्रवाई में विस्फोट के लिए प्रयुक्त की जाने वाली विस्फोटक सामग्री से होने वाले पर्यावरण को नुकसान से निपटने समेत सुरक्षा मानदंडों का उल्लंघन करने की जिम्मेदारी तय करना भी शामिल होना चाहिए।
साथ ही एनजीटी ने मिजोरम के मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली एक संयुक्त समिति गठित करने के निर्देश भी दिए। मुख्य सचिव, मिजोरम की अध्यक्षता वाली एक संयुक्त समिति में क्षेत्रीय अधिकारी, एमओईएफ और सीसी, शिलांग क्षेत्रीय अधिकारी, सीपीसीबी, शिलांग, जिला मजिस्ट्रेट, हनथियाल, सदस्य सचिव, राज्य पीसीबी, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, सचिव, सहित अन्य सदस्य होंगे।
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भूविज्ञान और खनन विभाग, मिजोरम, पेट्रोलियम, विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पीईएसओ) के नामित, मुख्य विस्फोटक नियंत्रक, नागपुर और आईआईटी धनबाद के नामित सदस्य शामिल होगें। इस समिति को ऐसी भविष्य में ऐसी आपदाओं को रोकने के लिए सिफारिशों के साथ मामले में तथ्यात्मक और कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करनी होगी। इसके लिए एनजीटी ने एक महीने का समय दिया है।
ट्रिब्यूनल ने यह भी कहा कि ऐसे गंभीर मुद्दों में, जांच लंबे समय तक नहीं की जा सकती है और वैधानिक नियामक कम से कम प्रथम दृष्टया संस्करण दे सकते हैं। यह और आश्चर्यजनक है कि पीड़ितों को दिया गया मुआवजा हास्यास्पद रूप से कम है। मुआवजे का भुगतान कम से कम कर्मचारी मुआवजा अधिनियम, 1923 में निर्धारित पैमानों के अनुसार किया जाना चाहिए था।
गौरतलब है कि मिजोरम के हनथियाल जिले में 12 नवंबर के एक पत्थर की खदान ढहने के कारण 12 श्रमिकों की मौत हो गई थी। यह घटना हनथियाल जिले के मौदढ़ इलाके में हुई थी। इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए एनजीटी ने कार्रवाई शुरू की थी।