सिक्किम : सिक्किम के जेमा में शुक्रवार को आर्मी का ट्रक खाई में गिर गया। इसमें राजस्थान के तीनों जवान शहीद हो गए। इनमें जैसलमेर के जोगा गांव के रहने वाले सूबेदार गुमान सिंह सोलंकी, जोधपुर के सुखाराम और झुंझुनूं के मनोज कुमार यादव भी हैं। तीनों का आज अंतिम संस्कार होगा।
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शहीद मनोज यादव की पार्थिव देह देर रात झुंझुनूं के पचेरी कलां थाने पहुंची। यहां से गांव माजरी तिरंगा यात्रा के साथ लाई गई। वहीं, जैसलमेर के गुमान सिंह की पार्थिव देह रविवार को उनके गांव जोगा लाई जा रही है। वे छुट्टी मनाकर पांच दिन पहले ही ड्यूटी पर लौटे थे।
झुंझुनूं के शहीद मनोज यादव के सम्मान में तिरंगा यात्रा की तैयारी शुक्रवार शाम से ही की जा रही थी। गांव के युवा इसकी तैयारी में जुटे थे। ये सभी बाइक पर तिरंगा थामे सबसे आगे चले। यात्रा में छह डीजे शामिल किया गया। जिन पर देशभक्ति के गीत गूंजे। इन सब के बीच लोग शहीद मनोज यादव अमर रहे के जयकारे लगे।
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वहीँ मनोज कुमार महज 27 साल की उम्र में देश के लिए शहीद हो गए। शहीद के दोस्त संदीप कुमार ने बताया कि मनोज में सेना के प्रति जुनून था। रोज सवेरे चार बजे उठकर दौड़ने जाता था। जब खुद का चयन हो गया तो गांव के दूसरे लड़कों को भी प्रेरित किया और उनकी मदद भी करता था। आज पूरा गांव शोक में डूबा है, लेकिन अपने लाडले की शहादत पर गांव को गर्व भी है।
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हादसे में जैसलमेर के जोगा गांव के निवासी सूबेदार गुमान सिंह भी शहीद हो गए थे। सूबेदार गुमान सिंह के शहीद होने की खबर के बाद से उनके गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। सूबेदार के घर के अंदर भी सन्नाटा छाया है। नाते रिश्तेदार घर के एक तरफ बुजुर्गों के साथ शांत बैठे हैं। हर कोई गुमान सिंह के अचानक चले जाने से सन्न है।
गांव वालों ने बताया- सूबेदार गुमान सिंह के पांच बच्चे हैं। 3 लड़कियों और 2 लड़कों में प्रह्लाद सिंह सबसे बड़ा लड़का है। प्रह्लाद सिंह को गुमान सिंह भारतीय सेना में ऑफिसर बनाने की चाहत रखते थे। प्रह्लाद सिंह नागौर जिले के कुचामन में 11वीं क्लास में पढ़ रहा है। सूबेदार गुमान सिंह की पार्थिव देह रविवार को उनके गांव लाई जा रही है।
सूबेदार गुमान सिंह 5 दिन पहले जैसलमेर में छुट्टी मनाकर अपनी ड्यूटी पर लौटे थे। किसान पिता के बेटे गुमान सिंह ने 27 साल पहले भारतीय सेना जॉइन की थी। अगले 10 महीनों में ही वे सेना से रिटायर होने वाले थे। हाल ही में आंध्र प्रदेश से उनको सिक्किम भेजा गया था।
सिक्किम जाने से पहले वे 7 दिन के लिए परिवार से मिलने जैसलमेर आए थे। गुमान सिंह के 2 बड़े भाई भी हैं, जिनमें एक अमर सिंह फौज से ही रिटायर हैं। सूबेदार गुमान सिंह ने अपनी 27 साल की नौकरी में श्रीनगर व लेह लद्दाख समेत भारत में कई जगह सेवाएं दी हैं।
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जोधपुर जिले की बावड़ी तहसील के गांव सांवतकुआं के सैनिक सुखाराम तरड़ भी इस हादसे में शहीद हो गए। शहीद के पिता धोकलराम का 8 महीने पहले ही निधन हो गया था। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। परिवार के लोग अब अपने लाडले का पार्थिव शरीर गांव पहुंचने का इंतजार कर रहे हैं। पिता धोकलराम भी सेना में रह चुके थे। सुखाराम 4 भाई बहनों में दूसरे नंबर के थे। सुखाराम की शादी नेतरा गांव में हुई थी। दो साल पहले ही गौना हुआ था। कोई संतान नहीं है।
सुखाराम का भी आज गांव सांवतकुआं में अंतिम संस्कार होगा। इसके लिए पार्थिव देह जोधपुर से गांव ले जाई जा रही है। कारों के काफिले के साथ पार्थिव देह को ले जाया जा रहा है।