रायपुर: छत्तीसगढ़ में जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निबटने कृषि अधिकारी, वैज्ञानिक विचार-मंथन करेंगे – इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विज्ञान विभाग द्वारा ”छत्तीसगढ़ राज्य में जलवायु परिवर्तन की समस्याएं चरम मौसम घटनाओं के लिए अनुकूलन और शमन रणनीतियां” विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन 26 अप्रैल कृषि महाविद्यालय के संगोष्ठी कक्ष में किया जा रहा है।
संगोष्ठी का शुभारंभ छत्तीसगढ़ शासन में कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह करेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल करेंगे। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के प्रबंध मण्डल सदस्य श्री आनंद मिश्रा, डॉ. एस.के. बाल, परियोजना समन्वयक, अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (कृषि मौसम विज्ञान), हैदराबाद, श्रीमती रानू साहू, संचालक कृषि एवं श्री माथेश्वरन व्ही, संचालक उद्यानिकी उपस्थित रहेंगे।
कार्यक्रम के आयोजन सचिव एवं कृषि मौसम विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. के.एल. नंदेहा ने बताया कि छत्तीसगढ़ में खरीफ क्षेत्र का कुल रकबा लगभग 47 लाख हेक्टेयर है, जिसमें धान की फसल का रकबा लगभग 37 लाख हैक्टेयर है। धान के अतिरिक्त यहां खरीफ मौसम में अरहर, मूंग, उड़द, मक्का, मूंगफली, तिल, सोयाबीन इत्यादि फसलें एवं रबी मौसम में गेंहू, मक्का, चना, उड़द, मूंग, सरसों, अलसी इत्यादि फसलें उगाई जाती हैं।
छत्तीसगढ़ राज्य में कृषि के क्षेत्रों में प्रमुख समस्याओं में वर्षा का असमान वितरण, छोटे-छोटे खेत, छोटे किसान जिनकी जोखित वहन करने की कम क्षमता है। जलवायु परिवर्तन कृषि प्रणालियों के लिए अत्यन्त जोखिम भरा है, जिससे आर्थिक विकास, खाद्य और आजीविका सुरक्षा प्रभावित होती है।
उच्च तापमान और अनिश्चित वर्षा का प्रभाव विशेष रूप से बढ़ती घटनाएं जैसे बाढ़, सूखा और तूफान के परिणाम स्वरूप जीवन, आजीविका और वित्तीय लागत का नुकसान होता है। तेजी से आर्थिक विकास, शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन छत्तीसगढ़ राज्य के लिए बड़ी चुनौतियां बनी हुई हैं। इन्ही सभी विषयों पर संगोष्ठी के दौरान आयोजित तकनीकी सत्रों में विषय विशेषज्ञों द्वारा गहन विचार-विमर्श किया जाएगा।