नई दिल्ली: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा क्रूज पोत से प्रतिबंधित मादक पदार्थ जब्त किये जाने के मामले में बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को नहीं फंसाने के एवज़ में 25 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगने के आरोप में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के पूर्व अधिकारी समीर वानखेड़े के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में बड़ा खुलासा हुआ है. एनसीबी की विजिलेंस टीम ने 11 मई को सीबीआई को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, जिसके बाद अगले दिन 12 मई को एफआईआर फाइल की गई.
2 अक्टूबर 2021 को कोर्डेलिया क्रूज पर हुई छापेमारी के खिलाफ 25 अक्टूबर 2021 को विजिलेंस जांच शुरू हुई थी, जिसमें 2008 बैच के आईआरएस अधिकारी एवं विजिलेंस एनसीबी के तत्कालीन मुंबई जोन के डायरेक्टर समीर वानखेड़े और मामले में दो अन्य एनसीबी के तत्कालीन अधीक्षक विश्व विजय सिंह खुफिया अधिकारी आशीष रंजन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी.
विजिलेंस की जांच में पाया गया की संदिग्धों की लिस्ट में शुरुआत में आई नोट में 27 नाम थे, लेकिन टीम ने उन्हें घटाकर 10 कर दिया. क्रूज पर छापेमारी के दौरान कई को बिना कागजी कार्रवाई के जाने दिया दिया. अरबाज नाम के शख्स के जूतों और जिप से नशीला पदार्थ मिला, लेकिन उसे लेकर दस्तावेज नहीं बनाए गए. यहां तक कि अरबाज को चरस सप्लाई करने वाले सिद्धार्थ शाह को भी जाने दिया गया.
जांच में ये भी पता चला की संदिग्धों को स्वतंत्र गवाह के. पी. गोसावी के वाहन में लाया गया. गोसावी को एनसीबी अधिकारी की तरह दिखाया गया था. गोसावी और उसकी सहयोगी सांविल डिसूजा ने आर्यन खान के परिवार से 25 करोड़ रुपए वसूलने की साजिश रची, उसे मामले में फंसाने की धमकी दी और आखिरकार 18 करोड़ में डील फाइनल हो गई. सीबीआई की एफआईआर में गोसावी और डिसूजा का नाम भी शामिल है.
के. वी. गोसावी ने टोकन मनी के तौर पर 50 लाख रुपये लिया था. हालांकि, बाद में इसमें से कुछ हिस्सा वापस कर दिया गया. समीर वानखेड़े के कहने पर गोवासी ने आर्यन खान को एनसीबी अधिकारी बनकर ऑफिस में यहां से वहां खींचा और धमकाया. उसके साथ सेल्फी ली. विजिलेंस जांच रिपोर्ट के मुताबिक समीर वानखेड़े अपनी विदेश यात्राओं के खर्च का सोर्स ठीक से नहीं बता पाए.
जांच में ये भी पता चला कि समीर वानखेड़े महंगी गाड़ियों की खरीद फरोख्त में एक प्राइवेट शख्स के साथ शामिल थे और इस बारे में भी उन्होंने विभाग को नहीं बताया. विजिलेंस रिपोर्ट के मुताबिक इन अफसरों ने अपने कर्तव्य और ड्यूटी को भूलकर आरोपियों से फायदा उठाने की कोशिश की. इसी रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई ने समीर वानखेड़े और अन्य के खिलाफ 12 मई को केस दर्ज करने के साथ ही मुंबई, दिल्ली, रांची, लखनऊ, गुवाहाटी और चेन्नई में 29 स्थानों छापेमारी की.