Chhattisgarh: धमतरी की बिगड़ती स्थिति की चिंता किसी को नही, हत्या, लूट, चाकूबाजी, चोरी समेत अन्य तरह की वारदात रोज…

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*शहर की बिगड़ती स्थिति की चिंता किसी को नहीं*

*कौन उठाए आवाज*

*खदानों की रेत की चिंता में डूबे है नेता और जनप्रतिनिधि*

*बिगड़ती व्यवस्था पर कौन बोलेगा चर्चा व्याप्त*

धमतरी: जिले के साथ शहर की क्या स्थिति है यह किसी से छिपी नहीं है। दिन ब दिन शहर के साथ जिले में अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ता जा रहा है। हत्या, लूट, चाकूबाजी, चोरी समेत अन्य तरह की वारदात रोज

हो रही है। बल्कि गली मोहल्लों में अवैध काम भी बराबर हो रहे है। इसके बाद भी जिले की बिगड़ती स्थिति को लेकर किसी नेता का दर्द नहीं छलक रहा है।

जबकि पूर्व के महीनों की बात करे तो प्रमुख दलों के नेता बार बार सड़क में आकर जिले की चिंता करते हुए नजर आते थे। बात बात पर आंदोलन उनकी आदत में शुमार हो गया था। किंतु अब न जाने क्या हुआ है कि कोई नेता जनप्रतिनिधि जिले के बिगड़ते हालातो को लेकर सामने नहीं आ रहा है, और न ही कोई आवाज उठा रहा है क्या उन्हें जिले में सब ठीक ठाक नजर आ रहा है, यह सवाल अब लोग करने लगे है?

जिले समेत शहर के हालात पर पब्लिक ने क्या कहा
पब्लिक से शहर के हालात पूछे तो उनका कहना है कि अब रात में अकेले घर से निकलने में भी डर लगता है। धमतरी के हालत पहले कभी ऐसे नहीं थे जैसे अब हो गए है। लोगों का यह भी कहना है कि अभी जिले के नेताओं को सिर्फ रेत खदान ही नजर आ रही है।

जबकी जिले का मुख्य मुद्दा अपराधो की रोकथाम होना चाहिए, क्योंकि अपराध के दलदल में युवाओं के साथ कम उम्र के युवा भी धसते जा रहे है। नशे और रंगदारी, चाकूबाजी का जुनून उनमें छाया हुआ है, जो छोटी बातों में हत्या जैसे संगीन अपराधो को भी अंजाम दे रहे है।

फिर हत्या और रंगदारी जैसी घटना खुलेआम बेखौफ होकर की जा रही है, मानो कायदा कानून है ही नहीं। ऐसी ढेरो घटनाएं शहर समेत जिले के थानों में दर्ज है, ऐसे अपराधिक मामले में युवा वर्ग और उनके परिजनों का ही बड़ा नुकसान हो रहा है।

शांतिप्रिय लोगों ने क्या कहा

जिले के शांतिप्रिय लोगों का कहना है कि नेता जनप्रतिनिधियों का झुकाव भले ही किसी भी पार्टी की तरफ हो मगर उन्हें पहले अपने जिले की चिंता करनी चाहिए। जिले के हालातो और अपने जिले के लोगों की सुरक्षा की चिंता करनी चाहिए। युवा और बच्चो के वर्तमान और भविष्य की चिंता करनी चाहिए। मगर वर्तमान की स्थिति ऐसी बन गई है कि नेता अपनी नेतागिरी में खुश है और अफसर अपनी अफसरी में कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है और इधर आम जनता दहशत के साए में अपना जीवन जीने मजबूर हो रही है।

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