आचार्य पं. श्रीकान्त पटैरिया (ज्योतिष विशेषज्ञ) जी
7वें और 11वें भाव में बुध, शनि और केतु की युति हो तो दूसरी शादी की संभावना बनती है।
कुंडली में सातवें घर का स्वामी शुक्र जब छठे, आठवें या बारहवें घर से संबंध रखता है तो दूसरी शादी की संभावना दिखाई देती है।
इसके अलावा, यदि शुक्र पर बुरा प्रभाव है या चंद्रमा नवांश में द्विस्वभाव राशि में स्थित है, तो यह भी किसी की जन्म कुंडली में दूसरी शादी का संकेत देता है।
अशुभ मंगल या सप्तम भाव का राहु भी इस प्रकार की सम्भावना देता है
यदि शुक्र दो सवभाव वाली राशि जैसे कन्या , मिथिन राशि के घर में है, सातवें घर में दुष्ट ग्रहों की स्थिति के साथ, तो यह जन्म कुंडली में दूसरी शादी की संभावना का सुझाव देता है।
जब किसी की जन्म कुंडली में सप्तम भाव में बृहस्पति के साथ शुक्र की युति के साथ किसी अशुभ ग्रह की उपस्थिति देखी जाती है तो दूसरी शादी की संभावना बनती है।
सातवें भाव में राहु और शुक्र पर अशुभ प्रभाव होने पर दूसरी शादी संभव होती है।
जब शुक्र चतुर्थ भाव में स्थित हो तो दूसरी शादी की संभावना बनती है। सातवें घर में मंगल और आठवें घर में शनि या राहु की स्थिति भी दूसरी शादी का संकेत देती है।
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