नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार आम जनता से मिलकर उनकी समस्याओं को सुन रहे हैं। इसी कड़ी में शुक्रवार (25 अक्टूबर) की सुबह पश्चिम दिल्ली के उत्तम नगर के प्रजापति कॉलोनी पहुंचे। यहां राहुल गांधी एक सैलून में पहुंचे। कांग्रेस सांसद ने सैलून में दाढ़ी (शेविंग) बनवाई। यह सैलून अजीत चलाते हैं। उन्होंने राहुल को बताया कि कैसे वे दिनभर काम करते हैं ताकि दिन के आखिर में कुछ पैसे बचा सकें। अजीत ने यह भी कहा कि राहुल से अपनी कहानी बताने के बाद उन्हें खुशी और संतुष्टि महसूस हुई। राहुल गांधी ने इसका वीडियो X पर शेयर करते हुए लिखा-‘कुछ नहीं बचता है’, ये शब्द आज हर गरीब-मिडिल क्लास की कहानी बन चुकी है।
दिल्ली के उत्तम नगर में स्थित कुम्हार कॉलोनी के दौरे पर पहुंचे राहुल गांधी ने एक कुम्हार के परिवार से मिलकर अपने हाथों से दीये बनाए। इस दौरान उनसे बातचीत की। वीडियो में राहुल गांधी अजीत से उनके काम रोजगार और जिंदगी के बारे में कई सवाल पूछे। उन्होंने जानना चाहा कि अजीत की कमाई क्या है, दुकान का किराया कितना है, और वह किस तरह से अपनी जिंदगी बिता रहे हैं।
अजीत ने बताया कि उनका सैलून का व्यवसाय 1993 से चल रहा है, और कोई भी नेता उनके पास इस तरह से नहीं रुका था। राहुल गांधी ने उनकी स्थिति को समझते हुए उन्हें आश्वासन दिया कि वह मदद कर सकते हैं। अजीत ने खुलकर अपनी कठिनाइयों का जिक्र किया। राहुल गांधी ने उनके प्रति सहानुभूति जताई और कहा कि वह उनकी मदद करने का प्रयास करेंगे।
वहीं राहुल ने लिखा- नाई से लेकर मोची, कुम्हार से लेकर बढ़ई, घटती आमदनी और बढ़ती महंगाई ने हाथ से काम करने वालों से अपनी दुकान, अपना मकान और स्वाभिमान तक के अरमान छीन लिए हैं। आज की जरूरत है ऐसे आधुनिक उपाय और नई योजनाएं, जो आमदनी में बढ़त और घरों में बचत वापस लाएं। और एक ऐसा समाज जहां हुनर को हक मिले और मेहनत का हर कदम आपको तरक्की की सीढ़ियां चढ़ाए।
इधर कुम्हार परिवार की रामरति ने बताया ‘मैं कुम्हार कॉलोनी में रहती हूं.मेरे घर की घंटी बजी, और मैंने दरवाजा खोला, तो सामने राहुल जी खड़े थे.उस वक्त मेरे बच्चे भी साथ में थे। मैंने राहुल को देखा, तो दंग रह गई. राहुल पूरी सिक्योरिटी के साथ मेरे सामने खड़े थे। उन्होंने मुझसे कहा कि ‘माता जी नमस्कार’. मैंने राहुल को हमेशा से टीवी पर देखा था, लेकिन जब मैंने सामने से उन्हें देखा, तो मैं थोड़ा घबरा गई। उन्होंने मुझसे कहा कि ‘माता जी मुझे दीये बनाना सिखाइए’। मैंने उन्हें दीया बनाना सिखाया. उन्होंने तीन दीये भी बनाए।