MP News : बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के गश्ती दल ने 29 अक्टूबर को मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के पटौर और खियातुली रेंज के सलखनिया बीट में 4 हाथियों की मौत का पता लगाया. सूत्रों ने बताया कि आस-पास के इलाकों में 6 और हाथी बीमार या बेहोश पाए गए. फील्ड स्टाफ और स्थानीय पशु चिकित्सा अधिकारियों ने बीमार हाथियों का इलाज शुरू किया, जिसमें स्कूल ऑफ वाइल्डलाइफ फोरेंसिक एंड हेल्थ (SWFH) के पशु चिकित्सकों की एक टीम ने इसमें मदद की.
SWFH के रिटायर प्रमुख डॉ. ए. बी. श्रीवास्तव की सेवाएं भी ली गईं. भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII), देहरादून के पशु चिकित्सक और संकाय की राय भी ली गई. हालांकि, 30.10.24 को 4 बीमार हाथियों की मौत हो गई. इसके अलावा, लगातार दवा और उपचार के बाद भी 2 बीमार और बेहोश हाथियों ने 31.10.24 को अपनी जान गंवा दी.
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मृत 10 हाथियों में से एक नर और नौ मादा थी. इसके अलावा, मृत दस हाथियों में से 6 किशोर/उपवयस्क और 4 वयस्क थे. जानकारी से पता चला कि 13 हाथियों के झुंड ने जंगल के आसपास कोदो बाजरा का फसल खाया था. 10 हाथियों का पोस्टमार्टम पशु चिकित्सकों की टीम ने किया है. पोस्टमार्टम के बाद विसरा को जांच के लिए बरेली और FSL सागर भेजा गया है.
हालांकि, बीमार हाथियों के इलाज के दौरान रक्त और अन्य नमूने 30 अक्टूबर को SWFH को भेजे गए थे. प्रथम दृष्टया भेजे गए नमूनों में विषाक्त पदार्थों की उपस्थिति का पता चला है. मध्य प्रदेश राज्य ने मामले की जांच करने और सरकार को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए 5 सदस्यीय राज्य स्तरीय समिति का गठन किया है. 5 सदस्यीय समिति का नेतृत्व APCCF (वन्यजीव) कर रहे हैं.
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समिति में नागरिक समाज, वैज्ञानिक और पशु चिकित्सक शामिल हैं. मामले की जांच राज्य टाइगर स्ट्राइक फोर्स (एसटीएसएफ) के प्रमुख द्वारा भी की जा रही है. एसटीएसएफ ने जंगलों और आस-पास के गांवों की तलाशी ली है और घटना के बारे में गहन जांच कर रही है. पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (डब्ल्यूसीसीबी) ने मामले की जांच के लिए एक टीम गठित की है. टीम मामले की स्वतंत्र जांच कर रही है.
मध्य प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक और मुख्य वन्यजीव वार्डन बांधवगढ़ में डेरा डाले हुए हैं और मामले में की जा रही जांच और कार्रवाई की निगरानी कर रहे हैं. दूसरी ओर, अतिरिक्त वन महानिदेशक (प्रोजेक्ट टाइगर एंड एलीफेंट) और सदस्य सचिव, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, एआईजी एनटीसीए, नागपुर के साथ घटनास्थल का दौरा किया और राज्य के अधिकारियों के साथ विभिन्न संबंधित मुद्दों और हाथियों की मौत के संभावित कारणों पर चर्चा की.
मध्य प्रदेश राज्य के संबंधित अधिकारियों द्वारा साझा की गई प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, हाथियों की मौत जहर के कारण हो सकती है. मौत का असली कारण जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद ही पता चलेगा.