छत्तीसगढ़ के सनावल को झारखंड से जोड़ेगा कन्हर नदी पर बन रहा उच्च स्तरीय पुल

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छत्तीसगढ़ के सनावल को झारखंड से जोड़ेगा कन्हर नदी पर बन रहा उच्च स्तरीय पुल

रायपुर, 08 जनवरी 2025 : छत्तीसगढ़ के बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के सनावल क्षेत्र को झारखंड से जोड़ने के लिए कन्हर नदी पर बन रहा उच्च स्तरीय पुल स्थानीय लोगों के आवागमन को आसान करेगा। लगभग 15.20 करोड़ रुपए की लागत से बन रहे इस पुल का निर्माण कार्य तेजी से जारी है। पुल के शुरू हो जाने से क्षेत्र के लगभग 20 गांवों की 40 हजार से अधिक आबादी को बारहों महीने निर्बाध आवागमन की सुविधा मिलेगी।

सनावल क्षेत्र के लोग रोजमर्रा की खरीदारी और इलाज के लिए झारखंड के गढ़वा, नगर उटारी और धुरकी शहरों पर निर्भर हैं। अभी इन शहरों तक पहुंचने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। पुल बनने के बाद यह दूरी आधी हो जाएगी। धौली से गढ़वा की वर्तमान दूरी 100 किलोमीटर से घटकर 55 किलोमीटर रह जाएगी। धौली से नगर उटारी की वर्तमान 70 किलोमीटर की दूरी घटकर 35 किलोमीटर हो जाएगी।

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पुल के निर्माण से वाड्रफनगर और रामचंद्रपुर तहसील के गांव सीधे झारखंड से जुड़ जाएंगे। इससे न केवल व्यापारिक-व्यावसायिक गतिविधियां बढ़ेंगी, बल्कि झारखंड और छत्तीसगढ़ के बीच आवागमन भी सुगम होगा। लोक निर्माण विभाग द्वारा रामचंद्रपुर विकासखंड के धौली और झारखंड के बालचौरा के बीच इस पुल का निर्माण किया जा रहा है।

312 मीटर लंबाई और 8.4 मीटर चौड़ाई वाले इस पुल का 50 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। अभी तक 12 पियर और दो अबटमेंट में से पांच पियर और एक अबटमेंट का काम पूर्ण हो गया है। शेष कार्य तेजी से पूर्णतः की ओर है, इसे जून 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है।

पुल के निर्माण से सनावल क्षेत्र के धौली, कामेश्वरनगर, झारा, कुशफर, सेमरवा, इंद्रावतीपुर, बरवाही, दोलंगी, ओरंगा, रेवतीपुर, सुंदरपुर, सुरंगपान, कुण्डपान, पिपरपान, डुगरु, पचावल, त्रिशूली, सिलाजू, उचरवा, आनंदपुर जैसे 20 गांवों को सीधा लाभ मिलेगा। इसके अलावा, झारखंड के गढ़वा, नगर उटारी और धुरकी आने-जाने वाले यात्रियों को भी सुविधा होगी।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, उप मुख्यमंत्री एवं लोक निर्माण मंत्री अरुण साव ने अधिकारियों को पुल निर्माण कार्य की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और समय-सीमा के भीतर इसे पूरा करने के निर्देश दिए हैं। यह पुल न केवल क्षेत्र के लोगों के लिए आवागमन की सुविधा को बेहतर बनाएगा, बल्कि यह झारखंड और छत्तीसगढ़ के बीच व्यापारिक और सामाजिक रिश्तों को भी मजबूत करेगा।

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