एमसीबी, 22 नवम्बर 2025 : जिले में विकासोन्मुख वित्तीय गतिविधियों को तेज़ गति देने और बैंकों तथा सरकारी विभागों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने के उद्देश्य से डीएलसीसी/डीएलआरसी की तिमाही बैठक जनपद पंचायत मनेंद्रगढ़ के कॉन्फ्रेंस हॉल में आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता कलेक्टर डी. राहुल वेंकट ने की।
इस महत्वपूर्ण बैठक में जिला पंचायत सीईओ अंकिता सोम, आरबीआई एलडीओ अविनाश टोप्पो, जीएम डीटीआईसी कश्यप, विभिन्न बैंकों के जिला समन्वयक, सरकारी प्रायोजित एजेंसियों के प्रतिनिधि और बैंकिंग क्षेत्र से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
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बैठक की शुरुआत एलडीएम संजीव पाटिल द्वारा सभी अधिकारियों का स्वागत करते हुए की गई, जिसके बाद वित्तीय समावेशन और जिला स्तरीय विकास योजनाओं से जुड़े विभिन्न बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा की गई। इसमें सीडी अनुपात की स्थिति, प्राथमिकता क्षेत्र को ऋण प्रवाह की उपलब्धि, वार्षिक ऋण योजना (एसीपी) के लक्ष्य और प्रगति, सरकारी प्रायोजित योजनाओं के लंबित प्रकरण, निष्क्रिय खातों की संख्या, डीईएएफ यानी अवमूल्यित एवं निष्क्रिय जमा खातों की स्थिति और बैंकिंग सेवाओं की पहुंच जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल रहे।
कलेक्टर डी. राहुल वेंकट ने बैठक में बैंकर्स को स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि सरकारी प्रायोजित योजनाओं के सभी लंबित प्रकरणों का समयबद्ध निराकरण करें ताकि जिले के अधिक से अधिक लाभार्थियों तक योजनाओं का लाभ पहुंच सके।
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उन्होंने विशेष जोर देते हुए कहा कि जिन बैंकों का सीडी अनुपात 40% से कम है वे तत्काल प्रभाव से सुधार की दिशा में कदम उठाएं और जिले में कृषि, लघु उद्योग, स्व-सहायता समूहों और स्वरोजगार योजनाओं के लिए ऋण वितरण को प्राथमिकता दें। उन्होंने यह भी कहा कि वित्तीय गतिविधियों की मंद गति जिले के विकास में बाधा बन सकती है, इसलिए बैंकिंग क्षेत्र की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
बैठक के दौरान यह सुझाव भी दिया गया कि बैंक शाखाएं ग्राम स्तर पर जनजागरूकता कार्यक्रम बढ़ाएं, निष्क्रिय खातों को सक्रिय करने की दिशा में अभियान चलाएं और डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा देकर वित्तीय समावेशन को मजबूत करें।
बैठक के अंत में एसबीआई मनेंद्रगढ़ के चीफ मैनेजर उदय सिंह लोधी ने सभी अधिकारियों, बैंक प्रतिनिधियों और एजेंसियों का आभार व्यक्त किया तथा आगामी तिमाही में और बेहतर उपलब्धियों का भरोसा दिलाया। जिले की यह तिमाही समीक्षा बैठक समन्वय, पारदर्शिता और लक्ष्य आधारित कार्यशैली को मजबूत बनाते हुए वित्तीय विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।








