नयी दिल्ली: आम आदमी पार्टी (आप) ने राष्ट्रीय राजधानी के राउज एवेन्यू में दिल्ली उच्च न्यायालय को आवंटित भूमि पर पार्टी के ‘अतिक्रमण’ को तत्काल प्रभाव से हटाने के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और कहा है कि इससे लोकसभा चुनाव के मद्देनजर चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता और पार्टी की छवि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
न्यायिक अवसंरचना से संबंधित लंबित मामले में ‘आप’ ने एक अर्जी दाखिल करते हुए दावा किया कि उस स्थान पर ‘अतिक्रमण’ का कोई सवाल ही नहीं उठता जो उसे 2015 में विधिवत तरीके से आवंटित किया गया था और तब से वह भूमि उन्हीं के कब्जे में है।
‘आप’ ने अर्जी में कहा कि पार्टी मौजूदा परिसर को खाली करने के लिए तैयार है और शीर्ष अदालत से यह निर्देश देने का अनुरोध किया कि इस तरह जगह खाली करवाने की आवश्यकता केवल तभी होनी चाहिए जब दो कार्यालय स्थानों के हकदार याचिकाकर्ता को उसके राष्ट्रीय पार्टी के दर्जे की स्थिति के लिहाज से उपयुक्त कम से कम एक (कार्यालय परिसर) नई दिल्ली नगरपालिका क्षेत्र में आवंटित किया जाए।
अधिवक्ता प्रतीक चड्ढा द्वारा दायर अर्जी में कहा गया, ”इन परिस्थितियों को देखते हुए तत्काल प्रभाव से जगह खाली करने का मतलब यह होगा कि याचिकाकर्ता के पास लागू दिशानिर्देशों के तहत दो कार्यालय स्थानों में से एक भी नहीं बचेगा।”
अर्जी में कहा गया, अदालत का यह निर्देश याचिकाकर्ता की छवि के साथ-साथ आगामी आम चुनावों की चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। साथ ही इस तथ्य को भी ध्यान में रखा जाए कि अन्य पांच राष्ट्रीय दल नयी दिल्ली में अपने आवंटित कार्यालयों से काम कर रहे हैं।” शीर्ष अदालत ने 13 फरवरी को दिल्ली सरकार और दिल्ली उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को संबंधित भूमि पर आप द्वारा किए गए ‘अतिक्रमण’ को हटाने के लिए एक बैठक करने का निर्देश दिया था।