नयी दिल्ली: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने डीएचएफएल और उसके निदेशकों के खिलाफ 2.60 लाख कथित फर्जी आवास ऋण खातों से संबंधित मामला बंद कर दिया है, जिनमें से कुछ का इस्तेमाल प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ब्याज सब्सिडी का दावा करने के लिए किया गया था। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि तीन साल से अधिक समय तक चली जांच के बाद एजेंसी को कोई ऐसा सबूत नहीं मिला जिससे पता चले कि कोई आपराधिक साजिश थी जिसके तहत ऐसे खाते बनाए गए। उन्होंने बताया कि घोटाले से प्रभावित दीवान हाउंिसग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) के नए बोर्ड द्वारा नियुक्त आॅडिटर ग्रांट थॉर्नटन की रिपोर्ट में इन अनियमितताओं की ओर इशारा किया गया है।
एजेंसी ने दिल्ली की एक विशेष अदालत के समक्ष अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है। अब अदालत यह निर्णय लेगी कि ‘क्लोजर रिपोर्ट’ को स्वीकार किया जाए या मामले में विस्तृत जांच का आदेश दिया जाए।
सीबीआई ने कंपनी के साथ-साथ प्रवर्तकों कपिल और धीरज वधावन के खिलाफ भी मामला दर्ज किया था।
आरोप है कि डीएचएफएल ने बांद्रा में एक फर्जी शाखा खोली थी और आवास ऋण लेने वाले उन लोगों के 14,046 करोड़ रुपये के फर्जी खाते डेटाबेस में दर्ज किए गए थे, जिन्होंने पहले ही अपना ऋण चुका दिया था।
सीबीआई ने प्राथमिकी में आरोप लगाया था कि 2007 से 2019 के बीच अस्तित्वहीन शाखा में कुल 2.60 लाख “फर्जी और काल्पनिक” आवास ऋण खाते बनाए गए, जिनसे कुल 14,046 करोड़ रुपये का ऋण दिया गया।
आरोप है कि इनमें से 11,755.79 करोड़ रुपये बांद्रा बुक फर्म के रूप में जानी जाने वाली कई काल्पनिक फर्मों में जमा किए गए।