नयी दिल्ली: भारत में विदेश से लाए चीतों का पहला घर बना मध्य प्रदेश का कूनो राष्ट्रीय उद्यान तेंदुओं की संख्या अधिक होने और शिकार योग्य पशुओं की कमी से जूझ रहा है और इन्हीं दोनों चुनौतियों ने गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में तैयारियों में विलंब कर दिया है जो चीतों का दूसरा घर होगा।
केंद्र की ‘चीता परियोजना संचालन समिति’ (चीता प्रोजेक्ट स्टींिरग कमेटी) की बैठकों के विवरण से पता चलता है कि सितंबर 2022 में भारत में चीतों की आबादी बढ़ाने की महत्वाकांक्षी पहल के सामने शिकार में वृद्धि और तेंदुओं का प्रबंधन प्रमुख चुनौतियां हैं।
शिकार कम होना उन वजहों में से एक है जिसके चलते सेप्टिसीमिया के कारण तीन चीतों की मौत के बाद बाकी के चीतों को पिछले साल अगस्त में जंगल से लाए जाने के बाद कूनो में बाड़ों में अधिक वक्त गुजारना पड़ा।
अंतरिम समाधान के तौर पर प्राधिकारी कूनो और गांधी सागर दोनों में शिकार की संख्या बढ़ा रहे हैं। दोनों इलाकों में तेंदुओं की अधिक तादाद के कारण भी तेंदुआ स्थानांतरण अभियान शुरू करना पड़ा है।
विशेषज्ञों के अनुसार, तेंदुए और शेर जैसे शिकारियों की उपस्थिति चीतों के लिए खतरा पैदा करती है।
बहरहाल, समिति के सदस्यों ने बार-बार ‘‘मूल स्थान पर शिकार बढ़ाने’’ की महत्ता पर जोर देते हुए कहा है कि ‘‘स्थानांतरण के जरिए सक्रिय शिकार वृद्धि अनिश्चितकाल तक नहीं हो सकती है।’’
मंदसौर के प्रभागीय वन अधिकारी संजय रैखेरे ने 18 जून को एक बैठक में कहा था कि गांधी सागर अभयारण्य में चीतों के नए जत्थे के लिए तैयार किए जा रहे 64 वर्ग किलोमीटर के बाड़े में 24 तेंदुए थे। सूत्रों के अनुसार, अभी तक वहां से 15 तेंदुओं को स्थानांतरित किया गया है।
सूत्रों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि गांधी सागर अभयारण्य तेंदुओं की संख्या और शिकार की चुनौतियों के कारण चीतों के लिए ‘‘100 फीसदी तैयार नहीं’’ है। एक सूत्र ने बताया, ‘‘हम तेंदुआ मुक्त बाड़बंदी बनाने पर काम कर रहे हैं। हमें बाड़े के अंदर और बाहर शिकार की आबादी में सुधार करने की भी आवश्यकता है।’’ गांधी सागर अभयारण्य 368 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है और इसके आसपास 2,500 वर्ग किलोमीटर का अतिरिक्त क्षेत्र है।
‘‘गांधी सागर में चीतों को लाने की कार्य योजना’’ के अनुसार, पांच से आठ चीतों को पहले चरण में प्रजनन पर ध्यान केंद्रित करते हुए 64 वर्ग किलोमीटर के शिकारी मुक्त बाड़बंदी वाले क्षेत्र में छोड़ा जाएगा। इस परियोजना का दीर्घकालीन उद्देश्य कूनो-गांधी सागर में 60-70 चीतों की आबादी है।
अपनी असाधारण गति और चपलता के लिए पहचाने जाने वाले चीते मुख्य रूप से खुले आवास में शिकार करते हैं। इसके विपरीत, तेंदुए विभिन्न प्रकार के आवास में शिकार करने के अनुकूल होते हैं और उनका आहार कई तरह का होता है। नतीजतन, चीते ऐसे आवास और समय चुनकर तेंदुओं से सीधे टकराव से बचते हैं जब तेंदुए कम सक्रिय होते हैं।
सूचना का अधिकार (आरटीआई) आवेदन के जरिए ‘पीटीआई-भाषा’ को मिले रिकॉर्ड से पता चलता है कि समिति के सदस्यों ने अभी तक हुई लगभग हर बैठक में शिकार और तेंदुआ संबंधी चुनौतियों को लेकर गंभीर ंिचताएं व्यक्त की हैं।
संचालन समिति के अध्यक्ष राजेश गोपाल ने तेंदुओं की सापेक्ष बहुतायत से निपटने के लिए पारिस्थितिकी, आवास आधारित दीर्घकालीन समाधान तलाशने की जरूरत पर जोर दिया है।