नई दिल्ली: आज का सुप्रीम कोर्ट का फैसला लोकतंत्र के पक्ष में फैसला है. सत्य की विजय हुई है. हमने जो सरकार बनाई वो नियम कानून के तहत बनाई. आज सुप्रीम कोर्ट ने उस पर मुहर भी लगा दी. लोग चिल्ला रहे थे कि यह अवैध सरकार है, लेकिन कोर्ट ने आज उन्हें तमाचा मारा है अपने फैसले से.जो फैसला अपेक्षित था वही फैसला कोर्ट ने दिया है. चुनाव आयोग ने नाम और निशान भी हमें दिया.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हम स्वागत करते हैं. सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने गुरुवार को महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट पर सर्वसम्मति से बड़ा फैसला सुनाते हुए इसे बड़ी बेंच के पास सुनवाई के लिए भेज दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मुद्दों पर अध्ययन की जरूरत है कि क्या विधानसभा अध्यक्ष को हटाने के प्रस्ताव से उनके अयोग्यता नोटिस जारी करने के अधिकार सीमित हो जाएंगे या नहीं.
न्यायालय ने शिवसेना विधायकों के एक धड़े के उस प्रस्ताव को मानने के लिए राज्यपाल को गलत ठहराया, जिसमें कहा गया कि उद्धव ठाकरे के पास बहुमत नहीं रहा. कोर्ट ने कहा कि उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री के रूप में बहाल नहीं किया जा सकता, क्योंकि उन्होंने सदन में बहुमत साबित होने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था.
न्यायालय ने कहा कि एमवीए सरकार को बहाल करने का आदेश देकर पूर्व की स्थिति नहीं लाई जा सकती क्योंकि तत्कालीन मुख्यमंत्री ठाकरे ने शक्ति परीक्षण का सामना नहीं किया. कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल ने सदन में सबसे बड़े दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के, दावा पेश करने पर एकनाथ शिंदे को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करके सही फैसला किया.
इस फैसले के बाद महाराष्ट्र में राजनीतिक हलचल तेज हो गई. मातोश्री में उद्धव ठाकरे और नीतीश कुमार ने पहले मुलाकात की और मीडिया के सामने आए. इस मौके पर उद्धव ने कहा कि उन्होंने (अब शिंदे गुट के विधायक) मेरी पार्टी और मेरे पिता की विरासत को धोखा दिया. सीएम के रूप में मेरा इस्तीफा तब कानूनी रूप से गलत हो सकता था, लेकिन मैंने इसे नैतिक आधार पर दिया.