हैदराबाद: तेलंगाना उच्च न्यायालय ने मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और कई अन्य लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए पुलिस को ‘निर्देश’ देने के संबंध में एक विशेष सत्र न्यायाधीश को निलंबित करते हुए कहा कि न्यायाधीश ने ‘अनुचित जल्दबाजी’ दिखाते हुए यह निर्देश दिया था।
हैदराबाद के आधिकारिक सूत्रों और दिल्ली में घटनाक्रम से अवगत लोगों ने बताया कि चुनाव आयोग के वरिष्ठ अधिकारी द्वारा उच्च न्यायालय में शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद सांसदों/विधायकों की सुनवाई के लिए विशेष सत्र अदालत के न्यायाधीश के. जय कुमार के खिलाफ प्रशासनिक स्तर पर निलंबन की कार्रवाई की गई है।
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 200 के तहत दायर राघवेंद्र राजू की निजी शिकायत के आधार पर न्यायाधीश ने प्रारंभिक जांच और शिकायतकर्ता का बयान दर्ज किए बिना ‘अनुचित जल्दबाजी’ दिखाते हुए काम किया।
सूत्रों ने प्रशासनिक पक्ष पर उच्च न्यायालय द्वारा जारी आदेश का हवाला देते हुए कहा कि अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते समय प्रक्रिया का पालन में अधिकारी की ओर से गंभीर चूक हुई है। तेलंगाना के उत्पाद शुल्क मंत्री वी. श्रीनिवास गौड़, मुख्य चुनाव आयुक्त कुमार और कई अन्य अधिकारियों के खिलाफ 11 अगस्त को प्राथमिकी दर्ज की गई थी। सत्र अदालत ने 2018 राज्य विधानसभा चुनाव में गौड़ के हलफनामे में कथित ‘छेड़छाड़’ को लेकर प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया था।
एक निजी शिकायत के आधार पर सत्र अदालत ने यह मामला पुलिस को भेजा था। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि महबूबनगर से विधायक गौड़ ने तथ्यों को छिपाकर चुनावी हलफनामे के साथ छेड़छाड़ की है। मामले के संबंध में गौड़ को प्रमुख आरोपी के रूप में नामित किया गया था जबकि कुमार और अन्य अधिकारियों को सह-आरोपी बनाया गया था।
शिकायतकर्ता ने अधिकारियों पर मंत्री के साथ मिलीभगत और बिना किसी कार्रवाई के चुनावी हलफनामा बंद करने का आरोप लगाया था।
सूत्रों ने आदेश का हवाला देते हुए कहा कि उच्च न्यायालय ने न्यायाधीश को तेलंगाना सिविल सेवा नियम, 1991 के तहत ‘जनहित में’ निलंबित कर दिया है।