अहमदाबाद: अहमदाबाद की एक अदालत ने बुधवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरंिवद केजरीवाल और राज्यसभा सदस्य संजय ंिसह को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की डिग्री के संबंध में ‘‘व्यंग्यपूर्ण’’ और ‘‘अपमानजनक’’ टिप्पणी को लेकर आपराधिक मानहानि के मामले में 13 जुलाई को अदालत के समक्ष पेश होने को कहा है।
आम आदमी पार्टी (आप) के दोनों नेताओं को इससे पहले मेट्रोपोलिटन अदालत ने सात जून को उसके समक्ष पेश होने के लिए समन किया था। गुजरात विश्वविद्यालय (जीयू) ने दोनों के खिलाफ मामला दायर करवाया है। केजरीवाल और ंिसह की ओर से बुधवार को पेश हुए उनके वकीलों ने अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट जयेश चोवटिया की अदालत में अपने-अपने मुवक्किलों को पेशी से छूट का अनुरोध करते हुए एक अर्जी दी और शिकायत से संबंधी दस्तावेज देने का अनुरोध किया।
गुजरात विश्वविद्यालय की ओर से पेश हुए वकील अमित नायर ने कहा, ‘‘केजरीवाल और ंिसह की ओर से उनके वकील आज अदालत में पेश हुए और अदालती दस्तावेज देने का अनुरोध करते हुए अर्जी दी है। अदालत ने उन्हें ये दस्तावेज मुहैया करा दिए… उन्होंने आज अदालत में अपने मुवक्किलों की अदालत में पेशी से छूट का अनुरोध करते हुए आवेदन भी दिया।’’
उन्होंने कहा कि अदालत ने पेशी से छूट के आवेदन को स्वीकार करते हुए सांसदों और विधायकों के खिलाफ त्वरित सुनवाई के लिए एक परिपत्र का जिक्र किया और उनसे पूछा कि वे कब तक उपस्थित हो सकते हैं। प्रतिवादियों ने कहा कि वे याचिका को लेकर बयान दर्ज कराने के लिए 13 जुलाई को उपस्थित रहेंगे।
इससे पहले, अदालत ने प्रथम दृष्टया दोनों आप नेताओं के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 500 (मानहानि) के तहत मामला पाकर उन्हें समन किया था। प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री पर गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा मुख्य सूचना आयुक्त के आदेश को खारिज किए जाने के बाद गुजरात विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार पीयूष पटेल ने दोनों नेताओं की टिप्पणियों को लेकर उनके खिलाफ मानहानि का मामला दायर करवाया।
शिकायतकर्ता ने कहा कि उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में और ट्विटर पर मोदी की डिग्री को लेकर विश्वविद्यालय को निशाना बनाते हुए ‘‘अपमानजनक’’ बयान दिए, गुजरात विश्वविद्यालय के खिलाफ उनकी टिप्पणी मानहानिकारक है और इसका उद्देश्य विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाना था।
शिकायतकर्ता द्वारा उद्धृत और केजरीवाल के हवाले से की गईं कुछ टिप्पणियां हैं: ‘‘अगर कोई डिग्री है और यह वास्तविक है, तो इसे क्यों नहीं दिया जा रहा है?, वे डिग्री नहीं दे रहे हैं क्योंकि यह नकली हो सकती है और अगर प्रधानमंत्री ने दिल्ली विश्वविद्यालय और गुजरात विश्वविद्यालय में अध्ययन किया है, तो गुजरात विश्वविद्यालय को जश्न मनाना चाहिए कि उसका छात्र देश का प्रधानमंत्री बन गया।’’ विश्वविद्यालय के अनुसार ंिसह ने कहा कि ‘‘वे (जीयू) प्रधानमंत्री की फर्जी डिग्री को सही साबित करने की कोशिश कर रहे हैं।’’