नई दिल्ली: उस्ताद अल्ला रक्खा खां के पुत्र पद्म विभूषण उस्ताद जाकिर हुसैन का रविवार रात अमेरिका में निधन हो गया. मौसिकी की दुनिया में जिनके तबले की थाप एक अलहदा पहचान रखती है, वो उस्ताद जाकिर हुसैन नहीं रहे. 73 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को से रविवार रात यह खबर आई, जहां उन्हें एक अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था. उन्हें रक्तचाप की समस्या थी. उस्ताद जाकिर हुसैन उस्ताद अल्ला रक्खा खां के पुत्र थे.
तबले की तालीम उन्होंने पिता से ही ली थी. उस्ताद जाकिर हुसैन की शख्सियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने महज 11 साल की उम्र में अमेरिका में पहला कॉन्सर्ट किया. यानी तकरीबन 62 साल तक उनका और तबले का साथ नहीं छूटा. उन्होंने तीन ग्रैमी अवॉर्ड जीते. पद्म विभूषण से भी नवाजे गए. तबले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाने में उनका अहम योगदान रहा.
पिता से विरासत में मिला था संगीत का हुनर जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 में मुंबई में हुआ था. जाकिर हुसैन ने महज तीन साल की उम्र में अपने पिता से पखावज बजाना सीख लिया था.
उन्होंने सेंट जेवियर्स कॉलेज से अपनी पढ़ाई की थी. 11 साल की उम्र में उन्होंने अमेरिका में अपना पहला कॉन्सर्ट किया और साल 1973 में ‘लिविंग इन द मैटेरियल वर्ल्ड’ नाम से अपना पहला एलबम लॉन्च किया. उनके इस एलबम ने जनता की खूब वाहवाही बटोरी थी.