खरना
खरना यानी लोहंडा छठ पूजा का दूसरा दिन होता है। इस साल खरना 18 नवंबर को है। इस दिन का सूर्योदय सुबह 06 बजकर 46 मिनट पर और सूर्यास्त शाम 05 बजकर 26 मिनट पर होगा।
छठ पूजा पर संध्या अर्घ्य का समय
छठ पूजा का तीसरा दिन संध्या अर्घ्य का होता है। इस दिन छठ पर्व की मुख्य पूजा की जाती है। तीसरे दिन व्रती और उनके परिवार के लोग घाट पर आते हैं और डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस साल छठ पूजा का संध्या अर्घ्य 19 नवंबर को दिया जाएगा। 19 नवंबर को सूर्यास्त शाम 05 बजकर 26 मिनट पर होगा।
चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने का समय
चौथा दिन छठ पर्व का अंतिम दिन होता है। इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और इस महाव्रत का पारण किया जाता है। इस साल 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इस दिन सूर्योदय 06 बजकर 47 मिनट पर होगा।
छठी पूजा का महत्व
छठ पूजा के दौरान सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा की जाती है। इस पूजा में भक्त गंगा नदी जैसे पवित्र जल में स्नान करते हैं। महिलाएं निर्जला व्रत रखकर सूर्य देव और छठी माता के लिए प्रसाद तैयार करते हैं। दूसरे और तीसरे दिन को खरना और छठ पूजा कहा जाता है। महिलाएं इन दिनों एक कठिन निर्जला व्रत रखती हैं। साथ ही चौथे दिन महिलाएं पानी में खड़े होकर उगते सूरज को अर्घ्य देती हैं और फिर व्रत का पारण करती हैं।
छठ पूजा में भूलकर भी न करें ये गलतियां
क्व छठ पर्व के दिनों में भूलकर भी मांसाहारी चीजों का सेवन न करें। साथ ही छठ पूजा के दिनों में लहसुन व प्याज का सेवन भी न करें। इस दौरान व्रत रख रही महिलाएं सूर्य देव को अर्घ्य दिए बिना किसी भी चीज का सेवन न करें।क्व छठ पूजा का प्रसाद बेहद पवित्र होता है। इसे बनाते समय भूलकर भी इसे जूठा न करें।क्व पूजा के लिए बांस से बने सूप और टोकरी का ही इस्तेमाल करना चाहिए। पूजा के दौरान कभी स्टील या शीशे के बर्तन प्रयोग न करें। साथ ही प्रसाद शुद्ध घी में ही बनाया जाना चाहिए।