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Chhattisgarh: ‘बाल विवाह’ रोकने के लिए स्‍वयंसेवी संस्‍थाओं का किया सम्‍मेलन…

छत्तीसगढ़ में बाल विवाह रोकने के लिए चेतना चाइल्ड एंड वूमेन वेलफेयर सोसाइटी ने मिलकर कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन के तहत ‘बाल विवाह’ रोकने के लिए स्‍वयंसेवी संस्‍थाओं का किया सम्‍मेलन रायपुर दिनांक 29/09/2022

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर ऐसे राज्‍य में बाल विवाह की स्थिति अत्‍यंत खराब है। भारत सरकार की साल 2011 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में 4,78,552 लोगों के बाल विवाह हुए हैं, जो कि पूरे देश के बाल विवाह का चार प्रतिशत है। बाल विवाह के मामले में देशभर में इस राज्‍य का 8वां स्‍थान है। जैसे राज्‍य के लिए यह आंकड़ा न केवल चौंकाने वाला बल्कि काफी चिंताजनक भी है।

नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित कैलाश सत्‍यार्थी द्वारा स्‍थापित कैलाश सत्‍यार्थीचिल्‍ड्रेनसफाउंडेशन(केएससीएफ) द्वारा यहां आयोजित ‘बाल विवाह मुक्‍त भारत’ अभियान में जुटी स्‍वयंसेवी संस्‍थाओं छत्तीसगढ़ मैं इस विषय पर चिंता जाहिर की और सरकार से अपील की कि बाल विवाह रोकने के लिए कानून का सख्‍ती से पालन करवाया जाए ताकि अपराधियों के मन में खौफ पैदा हो और बाल विवाह की सामाजिक बुराई को खत्‍म किया जा सके। इस संबंध में केएससीएफ ने राज्‍य के चेतना चाइल्ड एंड वूमेन वेलफेयर सोसाइटी सीडब्ल्यूसी अन्य एनजीओ एवं सहायता समूह के साथ मिलकर सम्‍मेलन आयोजित किया। इसमें बाल विवाह के समूल उन्‍मूलन को लेकर गहन विचार-विमर्श हुआ।

साल 2011 की जनगणना के आंकड़ों की तस्‍दीक करते है छत्तीसगढ़ में सर्वे के अनुसार देश में 20 से 24 साल की उम्र की 23.3 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं जिनका बाल विवाह हुआ है। राष्‍ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्‍यूरो(एनसीआरबी) के आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में साल 2019 में 111, साल 2020 में 185 और साल 2021 में 276 मामले बाल विवाह के दर्ज किए गए। यह दिखाता है कि बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई के प्रति लोग आंखें मूंदकर बैठे हैं। सम्‍मेलन में इस स्थिति पर चिंता जाहिर की गई। साथ ही जनता, सरकार और सुरक्षा एजेंसियों से बाल विवाह के मामलों में गंभीरता बरतने व सख्‍त से सख्‍त कदम उठाने की अपील की गई। इस बात पर सहमति जताई गई कि सख्‍त कानूनी कार्रवाई से ही बाल विवाह को रोका जा सकता है। चेतना चाइल्ड एंड वूमेन वेलफेयर सोसाइटी की डायरेक्टर श्रीमती इंदु साहू जी के द्वारा कहा गया कि आज हम जिस कलंक को मिटाने की बात कह रहे हैं वह बाल विवाह सदियों से परंपरा और रिवाज के तौर पर चलता आ रहा है वास्तव में तो यह बच्चों के शारीरिक मन और आत्मा को कुचल के रहने का एक ऐसा पाप है जो सामाजिक मान्यताओं मिल जाती है यह बच्चियों को दुल्हन बनाकर उनसे घरेलू गुलामी कराने और उनके साथ बलात्कार एवं यौन शोषण का लाइसेंस दे देना जैसा काम है इसे हमें अपने समाज से जड़ से हटाना है ताक ताकि हर एक लड़की अपना जीवन स्वस्थ एवं स्वतंत्र रूप से जी सकें डॉक्टर संपूर्णा बेहुरा ने कहा कि इसकी रिपोर्टिंग करना चाहिए ताकि उसके आंकड़ों का पता चल सके सभी संस्थाओं को इस पर काम करने की आवश्यकता है

सम्‍मेलन में बाल विवाह रोकने के लिए कानूनी पहलुओं पर चर्चा की गई। इसमें प्रमुख रूप से बाल विवाह के मामले में अनिवार्य एफआईआर दर्ज करने, बाल विवाह को जुवेनाइल जस्टिस एक्‍ट और पॉक्‍सो एक्‍ट से जोड़ने पर विमर्श हुआ। इसका मकसद कानून तोड़ने वालों को सख्‍त से सख्‍त सजा दिलाना है। साथ ही देश के हर जिले में बाल विवाह रोकने वाले अधिकारी(सीएमपीओ) की नियुक्ति की मांग भी उठाई गई। इन अधिकारियों को बाल विवाह रोकने के लिए उचित प्रशिक्षण देने और उन्‍हें अभिभावकों को इसके खिलाफ प्रोत्‍साहन देने की भी बात कही गई।

इस मौके पर मौजूद संस्थाओं ने कहा कि विश्वास एवं सत्य के साथ मंथन करना चाहिए और आशिका दायर करना चाहिए क्योंकि यह एक सामाजिक समस्या है साथ ही यह सम्मेलन ने यह विचार किया गया कि सभी बच्चों को 12वीं तक की पढ़ाई शिक्षा अनिवार्य रूप से करने की मांग की गई एवं मशीन का मूल्य संवेदनशील रूप से मूल्यांकन करने की आवश्यकता है एवं हर गांव में आर टी ई मॉनिटरिंग मैकेनिज्म की मांग कीजानी चाहिए महिला एवं बाल विकास विभाग की केएससीएफ की सहयोगी संस्‍था ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ की निदेशक संपूर्णा बेहुरा समेत अनेक गणमान्‍य हस्तियां मौजूद रहींइस मौके पर बाल विवाह पर चिंता जाहिर करते हुए …. ने कहा,

बाल विवाह से बच्‍चों के खराब होते जीवन पर चिंता व्‍यक्‍त करते हुए केएससीएफ की सहयोगी संस्‍था ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ की निदेशक संपूर्णा बेहुरा ने कहा, ‘बाल विवाह सामाजिक बुराई है और इसे बच्‍चों के प्रति सबसे गंभीर अपराध के रूप में ही लिया जाना चाहिए। बाल विवाह बच्‍चों के शारीरिक व मानसिक विकास को खत्‍म कर देता है। इस सामाजिक बुराई को रोकने के लिए हम सभी को एकजुट होकर प्रयास करना होगा।’ उन्‍होंने कहा, ‘उनका संगठन कैलाश सत्‍यार्थी के नेतृत्‍व में सरकार, सुरक्षा एजेंसियों एवं नागरिक संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि प्रदेश को बाल विवाह मुक्‍त किया जा

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