बिलासपुर: जिला अस्पताल के जिस 100 बिस्तर वाले मातृ शिशु अस्पताल को गर्भवती महिलाओं की देखरेख, सुरक्षित प्रसव और जच्चा- बच्चा के स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए बनाया गया था। वह अस्पताल आज खुद ही कई तरह की लाइलाज बीमारियों का शिकार हो गया है। अस्पताल में फंड की बेहद कमी है। और आप जानते ही हैं कि जहां फंड नहीं होता, वहां किसी के काम करने की इच्छा नहीं होती।
लिहाजा इस 100 बिस्तर अस्पताल को पैसों की तंगी के साथ-साथ डॉक्टरों की उपेक्षा, देखरेख और मरम्मत के अभाव तथा दवाओं की कमी जैसी गंभीर समस्याएं झेलनी पड़ रही है। इस अस्पताल के इंतजाम देखने और व्यवस्थाओं को दुरुस्त रखने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को इस बात से कोई मतलब नहीं है कि दिनोंदिन इस 100 बिस्तर अस्पताल की हालत किसी दूरदराज के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से भी खराब होती चली जा रही है।
शर्मनाक यह है कि इस अस्पताल की दोनों लिफ्ट लंबे समय से खराब है। जिसके कारण गर्भवती महिलाओं को सीढ़ियों से ऊपर वार्ड में जाने और नीचे आने में बहुत अधिक पीड़ा भुगतनी पड़ रही है। ऐसा लगता है कि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री को अस्पताल कि इस दुर्गति के बारे में कोई जानकारी नहीं है। अस्पताल में पदस्थ एक वरिष्ठ डॉक्टर के मुताबिक अगर स्वास्थ्य मंत्री ढाई ढाई साल की कुर्सी की बजाय स्वास्थ्य विभाग की चिंता कर लिए होते तो आज पूरे प्रदेश की तरह इस अस्पताल की स्वास्थ्य सुविधाओं का नजारा भी कुछ और होता।