कोरबा: आज 1 मई याने मजदूर दिवस के खास अवसर पर राज्य के मुखिया भूपेश बघेल की अपील पर जिला कोरबा कलेक्टर संजीव कुमार झा और पुलिस अधीक्षक यू उदय किरण ने श्रमिक संगठन के अधिकारियों संघ बोरेबासी खाकर श्रमिको का सम्मान किया।इन्होंने बताया कि कोरबा को औद्योगिक नगरी के रूप में जाना जाता है जहाँ बड़े पैमाने पर बिजली का उत्पादन होता है तथा बड़ी मात्रा में कोयला का उत्खनन किया जाता है, लिहाजा यहां बहुतायत रूप से श्रमिक कार्य करते हैं और कड़ी मेहनत से देश व राज्य को ऊर्जा प्रदान कर विकसित बनाते हैं।ऐसे मेहतनकश मजदूरों का हम सम्मान करते हैं और मजदूर दिवस की बधाइयां देते हैं।इन्होंने आगे बताया कि आमनागरिको से भी अपील करते है कि वे भी मजदूरों के सम्मान के लिए आज श्रमिक दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ के खानपान आहार से जुड़े बोरेबासी खाकर मजदूरों का सम्मान करें। देश व राज्य के विकास में मजदूर अहम भूमिका निभाते हैं, मजदूरो कड़ी मेहनत से ही देश विकास की ओर अग्रसर होता है इनके बिना देश का विकास संभव नही है।मजदूरों के सम्मान में 1 मई का दिन बेहद खास माना जाता है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी श्रमिक दिवस के अवसर पर किसान,मेहनतकश मजदूर व श्रमिकों के सम्मान में बोरेबासी खा रहे हैं।छत्तीसगढ़ में बोरेबासी का अलग महत्व है यह विटामिन और लाजवाब स्वाद से परिपूर्ण होता है।रोजाना इसे सुबह के वक़्त खाने से शरीर तर्वताजा रहता है और दिनभर शरीर मे ऊर्जा बनी रहती है।मजदूर सुबह के नाश्ते में बोरेबासी का सेवन करते हैं और दिनभर कड़ी मेहनत करते हैं।1 मई को छत्तीसगढ़ के मुखिया भूपेश बघेल के आव्हान पर नई परम्परा बोरेबासी खाकर मजदूरों का सम्मान किया जाता है।
मजदूरों और श्रमिकों को सम्मान देने के उद्देश्य से हर साल दुनियाभर में मजदूर दिवस मनाया जाता है। मजदूरों के नाम समर्पित यह दिन 1 मई है। मजदूर दिवस को लेबर डे, श्रमिक दिवस या मई डे के नाम से भी जाना जाता है। श्रमिकों के सम्मान के साथ ही मजदूरों के अधिकारों के लिए आवाज उठाने के उद्देश्य से भी इस दिन को मनाते हैं, ताकि मजदूरों की स्थिति समाज में मजबूत हो सके। मजदूर किसी भी देश के विकास के लिए अहम भूमिका में होते हैं। हर कार्य क्षेत्र मजदूरों के परिश्रम पर निर्भर करता है। मजदूर किसी भी क्षेत्र विशेष को बढ़ावा देने के लिए श्रम करते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस हर साल 1 मई को मनाया जाता है। पहली बार मजदूर दिवस 1889 में मनाने का फैसला लिया गया। इस दिन को मनाने की रूपरेखा अमेरिका के शिकागो शहर से बनने लगी थी, जब मजदूर एक होकर सड़क पर उतर आए थे।अमेरिका में मजदूर दिवस मनाने का प्रस्ताव 1 मई 1889 को लागू हुआ लेकिन भारत में इस दिन को मनाने की शुरुआत लगभग 34 साल बाद हुई। भारत में भी मजदूर अत्याचार और शोषण के खिलाफ आवाज उठा रहे थे। मजदूरों का नेतृत्व वामपंथी कर रहे थे। उनके आंदोलन को देखते हुए 1 मई 1923 में पहली बार चेन्नई में मजदूर दिवस मनाया गया। लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान की अध्यक्षता में मजदूर दिवस मनाने की घोषणा की गई। कई संगठन और सोशल पार्टी ने इस फैसले का समर्थन किया।