Chhattisgarh: आसमान में गिद्धों का मंडराना, प्राकृतिक संकेत या आध्यात्मिक संदेश…

0
251

महासमुंद: छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के आसमान में पिछले तीन-चार दिनों से एक अद्भुत दृश्य देखने को मिल रहा है। हजारों की संख्या में गिद्ध आसमान में मंडराते नजर आ रहे हैं, जिसने स्थानीय लोगों में कौतूहल और चिंता का माहौल पैदा कर दिया है। एक ओर, यह दृश्य अपनी विशालता और अद्वितीयता के कारण आकर्षित कर रहा है, वहीं दूसरी ओर, इसे शुभ और अशुभ संकेतों से जोड़कर देखा जा रहा है। गिद्धों का किसी क्षेत्र में बड़ी संख्या में इकट्ठा होना आमतौर पर उनके प्राकृतिक व्यवहार और पर्यावरणीय परिवर्तनों से जुड़ा होता है। गिद्ध, एक मांसाहारी पक्षी हैं जो आमतौर पर मरे हुए जानवरों को खाते हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, गिद्धों का बड़ी संख्या में मंडराना सामान्य रूप से उनके प्राकृतिक व्यवहार से जुड़ा होता है। गिद्ध मरे हुए जानवरों का भक्षण करने वाले पक्षी हैं और उनकी उपस्थिति किसी क्षेत्र में कचरे या जानवरों के शवों की अधिकता का संकेत हो सकती है। जब जानवरों के शव बड़ी संख्या में मिलते हैं, तो गिद्ध उस क्षेत्र में इकट्ठा हो जाते हैं। कुछ विशेषज्ञ इसे क्षेत्रीय पर्यावरणीय असंतुलन का संकेत भी मानते हैं, जो जंगलों की कटाई, मानवीय हस्तक्षेप, या जलवायु परिवर्तन का परिणाम हो सकता है।

गिद्धों का पारिस्थितिकी तंत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका है। वे प्राकृतिक सफाईकर्ता के रूप में कार्य करते हैं, मरे हुए जानवरों को खाकर पर्यावरण को साफ रखते हैं। गिद्धों की संख्या में कमी से पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन हो सकता है, जिससे संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। हाल के दशकों में, गिद्धों की कई प्रजातियों की संख्या में गिरावट आई है, जिसका मुख्य कारण ‘डाइक्लोफेनाक’ नामक दवा है, जो जानवरों को दी जाती है और गिद्धों के लिए विषाक्त होती है।

गिद्धों का इस तरह से मंडराना एक सकारात्मक संकेत भी हो सकता है कि यहाँ पर्यावरणीय परिस्थितियाँ उनके अनुकूल हो रही हैं, और क्षेत्र का पारिस्थितिकी तंत्र पुनर्जीवित हो रहा है।

भारतीय लोककथाओं और पौराणिक कथाओं में गिद्धों का उल्लेख कई जगहों पर होता है। रामायण के जटायु, जो एक गिद्ध थे, ने माता सीता की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी। इस कारण गिद्धों को ज्ञान, साहस, और बलिदान का प्रतीक माना जाता है। वहीं दूसरी ओर, कुछ परंपराओं में गिद्धों को अशुभ भी माना जाता है, खासकर जब वे बड़ी संख्या में किसी क्षेत्र के आसमान में मंडराते हैं। इसे विपत्ति या मृत्यु का संकेत माना जाता है।

महासमुंद के आसमान में गिद्धों का मंडराना न केवल एक अद्वितीय दृश्य है, बल्कि यह प्राकृतिक, पर्यावरणीय और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। गिद्धों की उपस्थिति हमें हमारे पर्यावरण के प्रति अधिक सजग होने का अवसर देती है। चाहे इसे शुभ माना जाए या अशुभ, यह घटना हमें अपने पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के प्रति सचेत करती है। आने वाले दिनों में वन्यजीव विशेषज्ञ इस घटना के वास्तविक कारणों का पता लगाएंगे। तब तक, महासमुंद के लोग इसे एक प्राकृतिक घटना के रूप में लेकर अपनी दिनचर्या में व्यस्त रहे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here