महासमुंद: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय द्वारा 10 मार्च 2024 को “बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान” का शुभारंभ किया गया था। यह अभियान प्रदेश में बच्चों के सर्वांगीण विकास, कुपोषण उन्मूलन और मातृ-शिशु मृत्यु दर को शून्य स्तर तक लाने के उद्देश्य से शुरू किया गया है। बाल विवाह एक सामाजिक कुप्रथा है, जो बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और समग्र विकास में बाधा डालती है। सरकार इसे पूर्ण रूप से समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है और इसके प्रभावी रोकथाम हेतु प्रदेश सहित जिले में जन-जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।
आज जिला पंचायत के सभाकक्ष में बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान अंतर्गत कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर जिला पंचायत उपाध्यक्ष भीखम सिंह ठाकुर, सदस्य जागेश्वर जुगनू चंद्राकर, लोकनाथ बारी, रवि साहू, राम दुलारी सिन्हा, जगमोतीन भोई, जनपद अध्यक्ष दिशा दीवान, उपाध्यक्ष तुलसी चंद्राकर, सदस्य निधि चंद्राकर, योगेश्वरी बबली जांगडे, जिला पंचायत सीईओ एस. आलोक, कार्यक्रम अधिकारी महिला बाल विकास समीर पांडेय, सरपंच गण, जनप्रतिनिधिगण एवं महिला एवं बाल विकास के अधिकारी उपस्थित थे। कार्यशाला में बाल विवाह के रोकथाम हेतु उपस्थित जनप्रतिनिधियों को पॉवर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से जानकारी दी गई एवं बाल विवाह की प्रभावी रोकथाम हेतु शपथ दिलाई गई कि मैं अपने परिवार में कभी भी बाल विवाह नहीं कराऊंगा। समाज में बाल विवाह के रूप में व्याप्त बुराई का सदैव विरोध करुंगा।
मैं बाल विवाह रोकने के लिए आमजनों को जागरूक करने के लिए सदैव प्रतिबद्ध रहूंगा। साथ ही कार्यशाला में विशाखा समिति की गाइडलाइन और मानव तस्करी के मुद्दों पर विस्तृत जानकारी दी गई। इन विषयों पर अधिवक्ता साधना सिंह एवं उप पुलिस अधीक्षक सारिका वैद्य के द्वारा विस्तृत जानकारी दी गई। मौजूद सभी जनप्रतिनिधियों से बाल विवाह की निषेध के प्रचार-प्रसार व शिकायत प्राप्त होने पर त्वरित कार्रवाई करने की अपील की गई।
कार्यशाला में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 एवं छत्तीसगढ़ बाल विवाह प्रतिषेध नियम 2007 की जानकारी कार्यक्रम अधिकारी समीर पांडेय एवं परियोजना अधिकारी मनीषा साहू द्वार दी गई। जिसके अनुसार 21 वर्ष से कम आयु के लड़के और 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की का विवाह कानूनन प्रतिबंधित है। बाल-विवाह एक सामाजिक कुप्रथा है जिसके सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक या प्रेम प्रसंग कारण हो सकते हैं, जिन्हें विमर्श में लेकर उन कारणों को पूर्णतः समाप्त कर एक सकारात्मक वातावरण तैयार किया जाना आवश्यक है।
बाल विवाह बच्चों के अधिकारों और उनके विकास को प्रभावित करता है। यह विकास को बाधित करने वाली गंभीर समस्या है जिसके पूर्ण रोकथाम हेतु सामाजिक, कानूनी और आर्थिक स्तर पर लोगों को जागरूक करना एवं इस कुप्रथा से होने वाले दुष्परिणामों को जन-जन को समझाना महत्वपूर्ण है, ताकि इसे प्रभावी तरीके से रोका जा सके और बच्चों का सर्वांगीण विकास कर उन्हें पूर्णतः सुरक्षित रखा जा सके।
उन्होंने बताया कि 18 वर्ष से अधिक आयु का पुरूष, यदि 18 वर्ष से कम आयु की किसी महिला से विवाह करता है तो उसे 2 वर्ष तक के कठोर कारावास अथवा जुर्माना जो कि 1 लाख रूपय तक हो सकता है अथवा दोनों से दण्डित किया जा सकता है। कोई व्यक्ति जो बाल विवाह करवाता है, करता है अथवा असमें सहायता करता है उसे 2 वर्ष तक का कठोर कारावास अथवा जुर्माना जो कि 1 लाख रूपए तक हो सकता है अथवा दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
कोई व्यक्ति जो बाल विवाह को बढ़ावा देता है अथवा उसकी अनुमति देता है, बाल विवाह में सम्मलित होता है उसे 2 वर्ष तक के कठोर कारावास अथवा जुर्माना जो कि 1 लाख रूपए तक हो सकता है अथवा दोनों से दण्डित किया जा सकता है। किसी भी महिला को कारावास का दण्ड नही दिया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि बाल विवाह की सूचना अनुविभागीय दंडाधिकारी, पुलिस थाने में, महिला एवं बाल विकास विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी, कर्मचारी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सरपंच, कोटवार, चाइल्ड हेल्पलाईन 1098 एवं महिल हेल्पलाईन 181 आदि को दी जा सकती है।