BIG NEWS: मुंबई तथा अन्य शहरों में CNG की कीमत में दो रुपये की बढ़ोतरी, दिल्ली को राहत

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नयी दिल्ली: मुंबई के साथ-साथ देश के कई अन्य शहरों में सीएनजी की कीमत में दो रुपये प्रति किलोग्राम की बढ़ोतरी की गई है, लेकिन चुनावी राज्य दिल्ली में उपभोक्ताओं को फिलहाल इससे छूट दी गई।
राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के शहरों में सीएनजी और खाना पकाने के लिए घरों में पाइप के जरिये प्राकृतिक गैस पहुंचाने वाली कंपनी इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड ने सप्ताहांत में सीएनजी की कीमत में दो रुपये प्रति किलोग्राम की बढ़ोतरी की है।

नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और अन्य शहरों में सीएनजी की कीमतों में बढ़ोतरी की गई, लेकिन दिल्ली को इससे छूट दी गई है, जहां कुछ ही महीने में चुनाव होने वाले हैं। एमजीएल की वेबसाइट के अनुसार, चुनाव समाप्त होने के साथ ही मुंबई में गैस की खुदरा बिक्री करने वाली महानगर गैस लिमिटेड (एमजीएल) ने मुंबई और आसपास के क्षेत्रों में सीएनजी की कीमतों में दो रुपये प्रति किलोग्राम की बढ़ोतरी कर दी है।

एमजीएल और अदाणी टोटल गैस लिमिटेड जैसे अन्य सिटी गैस रिटेलर्स ने कच्चे माल की लागत में 20 प्रतिशत की वृद्धि के बावजूद पिछले दो महीनों से खुदरा कीमतों को यथावत रखा था। मुंबई में विधानसभा चुनाव समाप्त होते ही एमजीएल ने 23 नवंबर से सीएनजी की कीमतें दो रुपये प्रति किलोग्राम बढ़ाकर 77 रुपये कर दी।

शहन में सीएनजी की खुदरा बिक्री करने वाले अन्य ने भी इसकी कीमतें बढ़ा दी हैं। आईजीएल की वेबसाइट के अनुसार, दिल्ली में सीएनजी की दरें 75.09 रुपये प्रति किलोग्राम पर अपरिर्वितत बनी हुई हैं, जबकि नोएडा, ग्रेटर नोएडा तथा गाजियाबाद में कीमतें दो रुपये प्रति किलोग्राम बढक़र 81.70 रुपये और गुरुग्राम में 82.12 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई हैं। इसे 23 नवंबर से लागू किया गया।

सीएनजी की दरें स्थानीय करों जैसे वैट की वजह से हर राज्य में अलग-अलग होती हैं। जब 2022 में उत्तर प्रदेश में चुनाव होने वाले थे, तब आईजीएल ने दिल्ली में कीमतों में संशोधन किया था, लेकिन उप्र के शहरों के लिए दरों में कोई बदलाव नहीं किया था।

उद्योग सूत्रों ने कहा कि जनवरी या फरवरी में होने वाले विधानसभा चुनावों के बाद दिल्ली में सीएनजी की कीमतों में संशोधन किया जा सकता है। एजीएल और आईजीएल ने कीमतों में वृद्धि के कारणों का खुलासा नहीं किया, लेकिन सूत्रों ने कहा कि यह वृद्धि उचित थी क्योंकि विनियमित या एपीएम गैस की आपूर्ति में लगातार दो दौर की कटौती के बाद फर्मों को अब महंगी गैस खरीदनी पड़ रही है।

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