नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने राष्ट्रीय राजधानी में स्कूलों के निरीक्षण के दौरान उसके द्वारा नियुक्त बाल सुरक्षा निगरानी समिति द्वारा पालन किए जाने के लिए निर्देश जारी किए हैं जिनमें स्कूल सुरक्षा के न्यूनतम मानकों पर ध्यान केंद्रित किया गया है. डॉ. आर.एम. शर्मा की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय समिति में रंजना प्रसाद और अधिवक्ता मैनी बरार भी शामिल हैं.
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अदालत दिल्ली के एक स्कूल में तीन वर्षीय बच्चे के साथ कथित यौन उत्पीड़न के बाद स्वत: संज्ञान पर शुरू किए गए मामले की सुनवाई कर रही थी. मामले की अगली सुनवाई 18 अप्रैल 2024 को होगी. अदालत ने आदेश दिया है कि अध्यक्ष की अगुवाई में समिति समग्र रूप से स्कूलों का निरीक्षण करेगी.
असाधारण परिस्थितियों में, अध्यक्ष किसी सदस्य को स्वतंत्र रूप से निरीक्षण करने की अनुमति दे सकते हैं जो अनुमोदन के लिए अध्यक्ष को रिपोर्ट करेंगे. असंतुष्ट होने पर अध्यक्ष दोबारा निरीक्षण कर नई रिपोर्ट तैयार कर सकते हैं.
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निरीक्षण कार्यवाही का नेतृत्व अध्यक्ष द्वारा किया जाएगा. अन्य दो सदस्यों के सुझावों पर विचार किया जाएगा, लेकिन अध्यक्ष का निर्णय अंतिम होगा. दोनों सदस्य स्कूल अधिकारियों से सीधे बातचीत नहीं करेंगे. पारदर्शिता के लिए कक्षाओं और शौचालयों सहित निरीक्षण क्षेत्रों की तस्वीरें खींची जाएंगी.
गार्डों का पुलिस सत्यापन, विशेष रूप से छात्राओं के शौचालयों के पास, स्कूल द्वारा प्रदान किया जाना चाहिए. यदि सत्यापन में कमी है, तो अध्यक्ष सत्यापन पूरा होने तक निलंबन का निर्देश दे सकते हैं. इसके अतिरिक्त, प्रबंधन को बस चालकों के लिए नियमित ब्रेथलाइज़र टेस्ट सुनिश्चित करना चाहिए. ऐसे मामलों में जहां बसें अनुबंधित हैं, ठेकेदार पुलिस सत्यापन और टेस्ट के लिए जिम्मेदार होंगे.