धमतरी : राष्ट्रीय आयुष कार्यक्रम सुप्रजा, धमतरी ज़िले में गर्भवती महिलाओं और उनके गर्भस्थ शिशुओं के स्वास्थ्य के लिए शुरू की गई एक योजना है. इस योजना का मकसद है कि गर्भवती महिलाएं स्वस्थ रहें और उनका बच्चा निरोगी पैदा हो. इस योजना के तहत, गर्भवती महिलाओं को आयुर्वेदिक दवाएं, योग, मेडिटेशन, पौष्टिक आहार और गतिविधियां दी जाती हैं।
जिले में अब तक 202 ग्रामों में इस कार्यक्रम का आयोजन किया जा चुका है, जिसमें 1277 गर्भवती महिलाएं योजनान्तर्गत पंजीकृत हैं। वनांचल नगरी विकासखण्ड के गट्टासिल्ली की शारदा निषाद की प्रथम होने वाली संतान को IUGR (गर्भ में पल रहे बच्चे का विकास सामान्य दर से न हो पाना) था, उनके द्वारा सुप्रजा कार्यक्रम के अंतर्गत बताए गए मासानुमासिक विहार, गर्भावस्थाक औषधि का प्रयोग, योग तथा मंत्र श्रवण किया गया। नतीजन उनका प्रसव बिल्कुल नॉर्मल तथा बच्चों का वजन 3.5 ग्राम रहा।
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इसी तरह प्रियंका मरकाम को गर्भावस्था के दौरान बार-बार खून की कमी होती थी, सुप्रजा कार्यक्रम के अंतर्गत पूरे गर्भावस्था के दौरान उन्होंने गर्भ संस्कार कार्यक्रम अपनाया तथा धात्री लोगों का सेवन साथ में किया उनका हीमोग्लोबिन पूरे गर्भावस्था के दौरान 11 से ऊपर था तथा उनके द्वारा स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया गया।
भारत सरकार, आयुष मंत्रालय द्वारा छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत वर्ष 2023-24 से राष्ट्रीय कार्यक्रम सुप्रजा सचालित किया जा रहा है। सुप्रजा कार्यक्रम गर्भवती, नवजात शिशु की देखभाल एवं सुरक्षा हेतु प्रारंभ किया गया है। इन संस्थाओं में चिकित्सकों एवं पैरामेडिकल स्टॉफ को भारत सरकार की गाईडलाइन के तहत गतिविधियों जैसे प्रतिमाह गर्भवती जांच, शिशु विकास परीक्षण, गर्भवती महिलाओं को शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक रूप से स्वस्थ रखने हेतु स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा रही है।
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उत्तम गुणयुक्त संतान प्राप्ति के लिए गर्भसंस्कार करवाया जा रहा है। गर्भावस्था अनुरूप आहार-विहार संबंधित सलाह (प्रत्येक माह अनुसार आयुर्वेद आहार) तथा प्रत्येक गर्भिणी को गर्भावस्था में किये जाने वाली उपयोगी योगासन की जानकारी योग प्रशिक्षक एवं आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा दी जा रही है। ज्यादा से ज्यादा गर्भिणी महिला योग का लाभ ले सके इसलिए आयुष संस्थाओं में योगसत्र का आयोजन भी किया जा रहा है।
गर्भावस्था में गर्भवती महिलाओं को आयुर्वेद औषधियां निःशुल्क प्रदान की जा रही है। इस कार्यक्रम के तहत गर्भावस्था की जटिलताएं कम हुई हैं। साथ ही सिजेरियन डिलीवरी की संख्या घट रही है। जननी एवं नवजात शिशु की प्रसवोत्तर 06 माह तक चिकित्सक द्वारा फॉलोअप किया जा रहा है तथा नवजात शिशु को स्तनपान करवाने हेतु जननी को सलाह दी जा रही है।