होरी जैसवाल
रायपुर : सिंध नवयुवक गणेशोत्सव समिति के मीडिया प्रभारी विक्की पंजवानी ने बताया कि कटोरा तालाब में भगवान गणेश जी की प्रतिमा के सामने परी लहरवानी ने रंग बिरंगे फूलों जैसे गुलाब, गेंदा, मोगरा, सूरजमुखी आदि फूलों से रांगोली बनाई।
फूलों की रंगोली के ऊपर स्वाती पंजवानी, वर्षा वीरनानी, चेतना वीरनानी और परी लहरवानी ने दीपक जलाकर गणपति जी को चढ़ाने वाले छप्पन भोग को भी रंगोली एवं फूलों से सजाया।
छप्पन भोग के महत्व को परी लहरवानी ने बताया कि इन्द्र के प्रकोप से ब्रजवासियों को बचाने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया था तब उन्हे सात दिनो तक भूखा रहना पड़ा था। इसके बाद उन्हें सात दिन और आठ पहर के हिसाब से 56 व्यंजन बनाकर खिलाएं गए थे। यह परंपरा उसी समय से शुरु हुई इसलिये सभी देवी देवताओं को 56 भोग लगाया जाता है।
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इसी परंपरा को सिंध नवयुवक गणेशोत्सव समिति द्वारा आयोजित 56 भोग मे सभी महिलाओं और युवतियों ने अलग अलग स्वादिष्ट व्यंजन जैसे–सिंधी हलवा पूड़ी, वेज पुलाव, चाउमीन, काजू, किश्मिश, बादाम, अखरोट, पनीर पराठा, दही बड़ा, खीर आदि व्यंजन बनाएं इस 56 भोग की जिम्मेदारी विशेष रुप से आशा पंजवानी, हेमा पंजवानी, संजना पंजवानी, कंचन पंजवानी, यशी पंजवानी आदि ने संभाली।
सिंधी नवयुवक गणेशोत्सव समिति के मीडिया प्रभारी विक्की पंजवानी ने बताया कि कटोरा तालाब में गणपति महाराज की भव्य चट्टान रूपी गणेश जी की प्रतिमा समिति के अध्यक्ष प्रियेश पंजवानी व सन्नी पंजवानी ने हर साल की तरह इस वर्ष भी 11 फुट 75 किलो की वजनी मूर्ति को अपने पंडाल पंडाल कटोरा तालाब में स्थापित किया साथ ही पंडाल में गणपति जी की मूर्ति को गार्डन का स्वरूप देने के लिए आर्टिफिशियल पेड़ पौधे और घास का उपयोग कर गार्डन का स्वरूप दिया है इस पूरी डेकोरेशन व सजावट गणपति जी की पत्थर जैसे दिखने वाली भव्य मूर्ति को देखकर ऐसा लगता है जैसे मानो किसी जंगल में गणेश जी की प्रतिमा स्वयं धरती खोदकर प्रकट हुई हो।
गणेश जी का पूजन सभी दुखों को दूर करने वाला और खुशहाली लाने वाले देवता के रुप में होती है इसलिए गणपति जी को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। सिंध नवयुवक गणेशोत्सव समिति पिछले 20 वर्षों से गणेश चतुर्थी पर्व को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं