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1 May International Labour Day: मजदूरों का योगदान समाज में महत्वपूर्ण है, जानिए इस दिन का इतिहास…

1 May International Labour Day: दुनियाभर में मई माह में मजदूर दिवस मनाया जाता है। श्रमिकों के लिए एक दिन समर्पित करने का बड़ा कारण है। मजदूर दिवस मनाने का महत्व विभिन्न देशों में अलग-अलग हो सकता है लेकिन यह एक संदेश देता है कि मजदूरों का योगदान समाज में महत्वपूर्ण है और उन्हें सम्मान व न्याय मिलना चाहिए। मजदूर दिवस हर साल 1 मई को मनाया जाता है। ये दिन असल में मजदूरों के अधिकारों, सामाजिक न्याय और कामकाजी परिस्थितियों पर बात करने, दिक्कतों को जानने और इन स्थितियों में सुधार करने से जुड़ा हुआ है।

मजदूर समाज की आधारभूत ढांचे को सुनिश्चित करते हैं। वे श्रम करके उत्पादन का संचालन करते हैं, जिससे सामाजिक और आर्थिक विकास संभव होता है। श्रमिकों का समाज में योगदान न केवल आर्थिक रूप से है, बल्कि उनके अधिकारों और सामाजिक स्थिति के मामले में भी महत्वपूर्ण है। श्रमिकों के सम्मान के साथ ही उनके अधिकारों के लिए आवाज उठाने के उद्देश्य से इस दिन को मनाए जाने की शुरुआत हुई।

मजदूर दिवस का इतिहास

अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस हर साल 1 मई को मनाया जाता है। मजदूर दिवस पहली बार 1889 में मनाने का फैसला लिया गया। हालांकि इसकी शुरुआत 1886 से ही हो गई थी। इसे मनाने की आवाज अमेरिका के शिकागो शहर में बुलंद हुई, जब मजदूर सड़क पर उतर आए।

क्यों मनाते हैं मजदूर दिवस?

1886 से पहले अमेरिका में आंदोलन शुरू हुआ, जिसमें मजदूरों ने अपने हक के लिए आवाज उठाते हुए हड़ताल शुरू की। आंदोलन की वजह मजदूरों की कार्य अवधि थी। उन दिनों मजदूर एक दिन में 15-15 घंटे कार्य करते थे। आंदोलन के दौरान पुलिस में मजदूरों पर गोलियां चलाईं, जिसमें कई श्रमिकों की जान चली गई और कई घायल हो गए।

मजदूरों की कार्य अवधि कम करने की मांग

घटना के तीन साल बाद 1889 में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें तय किया गया कि हर मजदूर की प्रतिदिन का कार्य अवधि 8 घंटे ही होगी। वहीं एक मई को मजदूर दिवस के तौर पर मनाने का फैसला लिया गया। बाद में अमेरिकी मजदूरों की तरह ही दूसरे देशों में भी श्रमिकों के लिए 8 घंटे काम करने का नियम लागू कर दिया गया।

भारत में मजदूर दिवस

1 मई 1889 में अमेरिका के मजदूर दिवस मनाने के प्रस्ताव के 34 साल बाद भारत में मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत हुई। देश में मजदूर अत्याचार और शोषण के खिलाफ आवाज उठी तो 1 मई 1923 में पहली बार चेन्नई में मजदूर दिवस मनाया गया। लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान की अध्यक्षता में मजदूर दिवस मनाने का ऐलान किया गया।

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