AIIMS के सर्वर पर चीनी हैकर्स ने किया था अटैक : OPD का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू

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AIIMS के सर्वर पर चीनी हैकर्स ने किया था अटैक : OPD का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू

नई दिल्ली : दिल्ली AIIMS सर्वर हैकिंग मामले में चीन की साजिश सामने आई है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने पुष्टि की है कि AIIMS के सर्वर पर चीनी हैकर्स ने अटैक किया था। मंत्रालय के मुताबिक, AIIMS के 100 में से 5 सर्वर हैक किए गए थे, इन सभी का डेटा रिकवर कर लिया गया है। OPD का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू हो गया है।

जांच अधिकारियों ने इसके पीछे चीन का हाथ होने की आशंका जताई थी। उनका कहना था कि हैकिंग के दौरान AIIMS का पर्सनल डेटा भी लीक हुआ था। दिल्ली एम्स में 23 नवंबर को सर्वर हैक होने की वजह से डॉक्टर अपने ई-सर्वर पर लॉगिन नहीं कर पा रहे थे।

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हैकिंग की जांच कर रहे अधिकारी ने बताया था कि साइबर एक्सपर्ट्स के मुताबिक, चीन के दो रैंसमवेयर ग्रुप- सम्राट ड्रैगनफ्लाई और ब्रॉन्ज स्टारलाइट (DEV-0401) इस हमले के पीछे हो सकते हैं। वहीं, दूसरा संदेह लाइफ नाम के एक ग्रुप पर था, जिसे वानारेन नामक रैंसमवेयर का नया वर्जन माना जा रहा है। जांच से यह भी पता चलता है कि हो सकता है कि हैकर्स ने बिक्री के लिए डेटा को डार्क वेब पर डालना शुरू कर दिया हो, क्योंकि उनकी मांगें पूरी नहीं हुई थीं।

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डार्क वेब इंटरनेट सर्चिंग का ही हिस्सा है, लेकिन इसे सामान्य रूप से सर्च इंजन पर नहीं ढूंढा जा सकता। इस तरह की साइट को खोलने के लिए स्पेशल ब्राउजर की जरूरत होती है, जिसे टॉर कहते हैं। डार्क वेब की साइट को टॉर एन्क्रिप्शन टूल की मदद से छुपा दिया जाता है। ऐसे में कोई यूजर्स इन तक गलत तरीके से पहुंचता है तो उसका डेटा चोरी होने का खतरा हो जाता है।

बता दें पिछले मंगलवार को AIIMS दिल्ली का सर्वर हैक करने वालों ने 200 करोड़ रुपए की डिमांड की थी। हैकर्स ने पेमेंट क्रिप्टोकरेंसी में करने के लिए कहा था। हालांकि, दिल्ली पुलिस ने किसी तरह की फिरौती मांगे जाने की बात से इनकार कर दिया था।

जानिए क्या है मामला

दरअसल AIIMS में सुबह 6 बजकर 45 मिनट पर इमरजेंसी लैब के कंप्यूटर सेंटर से मरीजों की रिपोर्ट नहीं मिलने की शिकायत आती है। इसके बाद बिलिंग सेंटर और डिपार्टमेंट से भी कुछ इसी तरह के कॉल आने लगते हैं। NIC की टीम ने जांच की तो पता चला कि मेन सर्वर पर सारी फाइलें नहीं खुल रही हैं।

जब टीम ने पहले बैकअप सिस्टम के जरिए फाइलों को रीस्टोर करने की कोशिश की तो पता चला कि इसमें भी सेंध लग चुकी है। फिर आगे जांच हुई तो पता चला कि फाइलों को क्लाउड में जिस एक्सटेंशन यानी ई पते पर रखा जाता है, उसे भी बदल दिया गया है। साइबर हमले की बात पुख्ता हो गई। इसके लिए भारतीय कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम (सीईआरटी-इन) की भी मदद ली गई।

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