नयी दिल्ली: मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को भले ही अच्छी जीत मिली हो किन्तु इस जीत के बावजूद राज्यसभा में सत्तारूढ़ दल के सदस्यों की संख्या इतनी नहीं बढ़ पायेगी कि उसे अगले साल तक उच्च सदन में बहुमत मिल सके।
अगले साल, राज्यसभा में 69 सीटें खाली हो जाएंगी। इनमें से 56 सीटें लोकसभा चुनाव से पहले, अप्रैल में ही रिक्त हो जाएंगी। संसद के उच्च सदन में 239 सदस्य हैं। वर्तमान में, भाजपा 94 सदस्यों के साथ उच्च सदन में सबसे बड़ी पार्टी है। उसके बाद 30 सदस्यों के साथ कांग्रेस और 13 सदस्यों के साथ तृणमूल कांग्रेस क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।
उच्च सदन में भाजपा के 30 सीटें बरकरार रखने की संभावना है, जो अगले साल अप्रैल में खाली हो जाएंगी। कांग्रेस अपनी सीटें बरकरार रखेगी। उसे तेलंगाना से अतिरिक्त दो सीटें मिलेंगी। तेलंगाना में कांग्रेस ने बीआरएस को हरा कर विधानसभा चुनाव जीता है।
जिन सदस्यों का कार्यकाल अप्रैल में पूरा होगा उनमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन ंिसह राजस्थान से, पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव राजस्थान से, शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान मध्य प्रदेश से और राज्य मंत्री पुरूषोत्तम रूपाला गुजरात से शामिल हैं।
भाजपा को राजस्थान और छत्तीसगढ़ से अधिक सीटें मिलेंगी, जिन राज्यों में वह विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को हटाकर सत्ता में आई है। पार्टी को अतिरिक्त सीटें बाद के वर्षों में मिलेंगी। राज्यसभा में आप और द्रमुक के 10-10 सदस्य हैं, जबकि बीजद और वाईआरएस कांग्रेस पार्टी के नौ-नौ सदस्य हैं।
बीआरएस के उच्च सदन में सात सदस्य हैं, राष्ट्रीय जनता दल के छह और जनता दल (यूनाइटेड) और भाकपा (एम) के पांच-पांच सदस्य हैं। राज्यसभा में जहां उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा 31 सीटें हैं, वहीं मध्य प्रदेश से 11 सीटें, राजस्थान से 10 सीटें, तेलंगाना से सात सीटें और छत्तीसगढ़ से पांच सीटें हैं।