नयी दिल्ली: रेलगाड़ी चालकों के समूह ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को एक ज्ञापन सौंपा है जिसमें हालिया रेल दुर्घटनाओं के लिए कामकाज संबंधी खराब परिस्थितियों को जिम्मेदार ठहराया गया है। ‘आॅल इंडिया लोको रंिनग स्टाफ एसोसिएशन’ के दक्षिण जोन के अध्यक्ष आर कुमारेसन ने यह जानकारी दी।
गांधी ने लोको पायलट के समूह से शुक्रवार को मुलाकात की थी और उन्हें विश्वास दिलाया था कि वह ‘रेलवे के निजीकरण’ और र्भितयों की कमी का मुद्दा उठाएंगे। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और ट्रेन चालकों के बीच नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शुक्रवार को मुलाकात कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कुमारेसन ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि लोको पायलट रेलवे में खुद के और यात्रियों के समक्ष आने वाले ‘‘सुरक्षा संबंधी गंभीर मुद्दों’’ की ओर गांधी का ध्यान आर्किषत कराना चाहते हैं।
एसोसिएशन ने ज्ञापन में कहा, ‘‘भारतीय रेल से जुड़ी दुर्घटनाओं सहित हालिया दुर्घटनाओं ने लोको पायलट की कामकाजी स्थितियों में सुधार समेत कई मुद्दों को सुलझाने की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया है।’’ ज्ञापन में ट्रेन चालकों की दुर्दशा पर प्रकाश डालते हुए कहा गया है कि लोको पायलट, खास तौर पर मालगाड़ी चलाने वाले चालक, दिन में 14 से 16 घंटे काम करते हैं और तीन या चार दिन बाद घर जाते हैं।
इसमें कहा गया है कि ये चालक चार से ज्यादा रातों तक लगातार काम करते हैं और उन्हें साप्ताहिक विश्राम देने के बजाय 10 दिन में एक बार आराम दिया जाता है। ज्ञापन में कहा गया है कि रेलवे द्वारा 2017 में गठित सुरक्षा संबंधी कार्यबल ने पाया कि ‘रेड सिग्नल’ का उल्लंघन ज्यादातर तब होता है जब लोको पायलट ‘‘अपर्याप्त साप्ताहिक आराम’’ के बाद काम पर लौटते हैं।
ज्ञापन में कहा गया है, ‘‘चूंकि उन्हें (ट्रेन चालकों को) उनके घरेलू काम करने के लिए छुट्टी नहीं दी जाती, इसलिए वे अपने आराम की अवधि के दौरान घरेलू काम करते हैं और इसलिए वे पर्याप्त आराम नहीं कर पाते।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘सभी कर्मचारियों को 40 से 64 घंटे का साप्ताहिक विश्राम मिलता है, लेकिन लोको पायलट को केवल 30 घंटे का विश्राम मिलता है।’’
ज्ञापन में लगातार रात्रि ड्यूटी करने के मुद्दे का भी उल्लेख किया गया। इसमें कहा गया है कि लोको पायलट का मानना ??है कि लगातार रात्रि ड्यूटी करने से दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ती है। लोको पालयट ने गांधी के समक्ष, लगातार कई घंटों की ड्यूटी की समस्या का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि इससे थकान बढ़ती है।
लोको पायलट संघों ने कहा कि 1973 में, एम रथिना सबापति के नेतृत्व में एआईएलआरएसए के बैनर तले ‘लोको-रंिनग स्टाफ’ ने आठ घंटे की ड्यूटी के लिए देशव्यापी हड़ताल की थी और उसी साल 13 अगस्त को सरकार के साथ एक समझौता हुआ था।
ट्रेन चालकों ने कहा कि 14 अगस्त 1973 को तत्कालीन मंत्री ने संसद में घोषणा की कि ‘लोको रंिनग स्टाफ’ के सदस्यों को लगातार 10 घंटे से अधिक काम नहीं करना पड़ेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि समझौते का पालन नहीं किया गया और लोको पायलट को लगातार 14 घंटे से अधिक समय तक काम करने के लिए मजबूर किया जाता है।
ज्ञापन में रेल इंजन में शौचालय नहीं होने की समस्या का भी जिक्र किया गया। रेलगाड़ी चालकों ने गांधी से आग्रह किया कि वे ‘‘हस्तक्षेप करें और मानवीय चूक के कारण को दूर कर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।’’