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Chhattisgarh: एस्मा लगाने पर संविदा कर्मचारी आक्रोशित, 17 जुलाई को कर्मचारी करेंगे जेल भरो आंदोलन…

सूरजपुर: छत्तीसगढ़ सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी महासंघ के बैनर तले संविदाकर्मी 10 दिनों से अनिश्चितकालीन आंदोलन पर हैं, इस आंदोलन में राज्यभर के 45 हजार संविदा कर्मचारी शामिल हैं,यह आंदोलन पूरे प्रदेश में किया जा रहा है। बता दें कि, कर्मचारियों की नाराजगी कांग्रेस की ओर से नियमितीकरण का वादा पूरा नहीं करने की वजह से है, जिन विभागों के कर्मचारी हड़ताल पर गए हैं, उनमें स्वास्थ्य, मनरेगा, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, कृषि, शिक्षा, महिला एवं बाल विकास विभाग, प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना, अन्य विभाग शामिल हैं, जिनमें कामकाज इस हड़ताल की वजह से प्रभावित हो रही हैं। बीते साढ़े 4 सालों से अलग-अलग समय पर कर्मचारी संगठन आंदोलन करते रहे हैं।

कर्मचारी नेताओं ने आरोप लगाया है कि कई बार बातचीत की पहल करने के बावजूद प्रशासनिक अफसरों ने कोई चर्चा नहीं की और ना ही इनकी मांगों पर ध्यान दिया। मजबूर होकर अब अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान कर्मचारियों को करना पड़ा है।हड़ताली कर्मचारियों पर लगाया गया एस्मा,सर्व संविदा कर्मचारियों के कार्यकारी जिला अध्यक्ष बृजलाल पटेल ने बताया कि हम सभी संविदा कर्मचारी अपनी जायज मांग को लेकर हडताल पर है मगर सरकार हमारी मांगों को लेकर न ही कोई संवाद कर रही है और न ही कोई ठोस निर्णय लिया जा रहा है।

प्रवक्ता मनोज जायसवाल ने बताया कि, शासन की तरफ से प्रदर्शन-हड़ताल में शामिल स्वास्थ्य विभाग के संविदा नर्स, स्वास्थ्य कर्मी, एंबुलेंस सेवा के कर्मचारी को काम पर लौटने का आदेश जारी करते हुए उनपर एस्मा लागू कर दिया गया है। इस कदम से प्रदर्शनकारी काफी आक्रोशित है और आंदोलन उग्र करने की दी चेतावनी और बताया गया कि अगर किसी कर्मचारी पर कार्यवाही होती है तो हम सब 45 हजार कर्मचारी एक साथ है।

जल सत्याग्रह, सर्व संविदा कर्मचारियों के द्वारा आज प्रान्त स्तर पर एस्मा लगाने के विरोध में कई घंटों तक जल सत्याग्रह का किया गया आयोजन। 17 जुलाई को किया जाएगा जेल भरो आंदोलन के साथ-साथ उग्र आंदोलन,सर्व संविदा कर्मचारी संघ के जिला संयोजक ज्ञानेन्द्र सिंह ने बताया कि संविदा कर्मचारियों के पक्ष में कोई निर्णय नही होने पर एवं सरकार के द्वारा एस्मा लगाने से आक्रोशित 45 हजार संविदा कर्मचारी एक साथ 17 जुलाई को रायपुर में जेल भरो आंदोलन के साथ-साथ उग्र आंदोलन की दी चेतावनी। जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होंगी।

क्या है एस्मा?

आवश्‍यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्‍मा) हड़ताल को रोकने के लिये लगाया जाता है। विदित हो कि एस्‍मा लागू करने से पहले इससे प्रभावित होने वाले कर्मचारियों को किसी समाचार पत्र या अन्‍य दूसरे माध्‍यम से सूचित किया जाता है। एस्‍मा अधिकतम छह महीने के लिये लगाया जा सकता है और इसके लागू होने के बाद अगर कोई कर्मचारी हड़ताल पर जाता है तो वह अवैध‍ और दण्‍डनीय है।

सरकारें क्यों लगाती हैं एस्मा?

सरकारें एस्मा लगाने का फैसला इसलिये करती हैं क्योंकि हड़ताल की वजह से लोगों के लिये आवश्यक सेवाओं पर बुरा असर पड़ने की आशंका होती है। जबकि आवश्‍यक सेवा अनुरक्षण कानून यानी एस्मा वह कानून है, जो अनिवार्य सेवाओं को बनाए रखने के लिये लागू किया जाता है। इसके तहत जिस सेवा पर एस्मा लगाया जाता है, उससे संबंधित कर्मचारी हड़ताल नहीं कर सकते, अन्यथा हड़तालियों को छह माह तक की कैद या ढाई सौ रु. दंड अथवा दोनों हो सकते हैं।

एस्मा के रूप में सरकार के पास एक ऐसा हथियार है जिससे वह जब चाहे कर्मचारियों के आंदोलन को कुचल सकती है, विशेषकर हड़तालों पर प्रतिबंध लगा सकती है और बिना वारंट के कर्मचारी नेताओं को गिरफ्तार कर सकती है। एस्मा लागू होने के बाद यदि कर्मचारी हड़ताल में शामिल होता है तो यह अवैध एवं दंडनीय माना जाता है। वैसे तो एस्मा एक केंद्रीय कानून है जिसे 1968 में लागू किया गया था, लेकिन राज्य सरकारें इस कानून को लागू करने के लिये स्वतंत्र हैं। उल्लेखनीय है कि थोड़े बहुत परिवर्तन कर कई राज्य सरकारों ने स्वयं का एस्मा कानून भी बना लिया है और अत्यावश्यक सेवाओं की सूची भी अपने अनुसार बनाई है।

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