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Chhattisgarh: इस परंपरा के चलते इलाके के घरों में ताले नहीं लगते, पढ़िए खबर…

जगदलपुर: कहते हैं पुलिस के साथ समाज भी अपने लोगों को अनुशासित रखने के लिए सामाजिक कायदों को सख्त कर दे, तो समाज में अपराध के लिए कोई जगह ही नहीं रहेगी. लोग शांति से जीवन यापन कर सकेंगे. इस मामले में आदिम क्षेत्र बस्तर के बास्तानार, कोड़ेनार क्षेत्र के ग्रामीणों को अनुशासित माना जाता है. इस इलाके में चोरी और हत्या जैसी घटनाएं कम होती हैं, चूंकि इस क्षेत्र में परंपरा है कि कोई ग्रामीण जेल गया या किसी वजह से उसे पुलिसकर्मी ने थप्पड़ जड़ दिया तो उसे समाज से बहिस्कृत कर दिया जाता है और तभी समाज में मिलाया जाता है जब वह सामूहिक भोज कराता है. इस परंपरा के चलते ही इलाके के घरों में ताले नहीं लगते.

क्या है सामाजिक बंधन

बस्तर जिला का बास्तानार विकासखंड इलाका दक्षिण बस्तर के दंतेवाड़ा जिला से लगा हुआ है. इस इलाके में दंडामी माडिया बड़ी संख्या में निवासरत हैं. इनके मध्य यह परंपरा वर्षो से जारी है कि अगर कोई ग्रामीण किसी अपराध की वजह से जेल गया या किसी कारणवश उसे पुलिस वाले ने थप्पड़ जड़ दिया तो उसे तत्काल समाज से बहिष्कृत कर दिया जाता है.

खासपारा बास्तानार के हिडमू, किसकेपारा के दुलगो, कोड़ेनार के आयता बताते हैं कि जेल जाने से सामाजिक प्रतिष्ठा तो धूमिल होती है, वहीं परिजनों पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है. दूसरी बात यह है कि पुलिस कर्मी को लोग अपना सेवक मानते हैं और सेवक से ही कोई मार खा जाए या अपमानित हो जाए. इससे बड़ी बेज्जती क्या हो सकती है? इसलिए ऐसे लोगों को समाज से बहिष्कृत कर दिया जाता है. ऐसी स्थिति में वह घर के बाहर झोपड़ी में रहता है और जब तक समाज को भोज नहीं देता. उसे समाज में नहीं मिलाया जाता.

हजारों रुपए होते हैं खर्च

बहिष्कृत व्यक्ति को समाज में फिर मिलाने के लिए परिजनों को सामूहिक भोज देने के लिए धन और राशन की व्यवस्था करनी पड़ती है. सामाजिक दंड के इस भोज में कम से कम 400 लोग शामिल होते हैं. सामूहिक भोज कराने पर लगभग 60 हजार रुपए खर्च आता है. इसके चलते परिजनों को जमीन गिरवी रखनी पड़ती है या कर्ज लेना पड़ता है. इस आर्थिक बोझ से बचने के लिए ही ग्रामीण चोरी, लड़ाई- झगड़ा, आदि से दूर रहने का प्रयास करते हैं. इस डर और संयम के कारण ही कोड़ेनार थाना क्षेत्र के गांवों में अपराध कम होते हैं और लोग घरों में ताले नहीं लगाते. बताया गया कि कोड़ेनार थाना क्षेत्र अंतर्गत कुल 49 गांव आते हैं और इन गांवों में उपरोक्त परंपरा वर्षो से जारी है.

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