Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ के शैव-कला पर प्रदर्शनी और व्याख्यान 18 अप्रैल को

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Chhattisgarh : विश्व धरोहर दिवस के अवसर पर संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग द्वारा 18 अप्रैल को सवेरे 11 बजे महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय परिसर रायपुर में व्याख्यान कार्यक्रम आयोजित है। इस दौरान छत्तीसगढ़ के शैल-कला पर प्रदर्शनी और धरोहरों के संरक्षण पर व्याख्यान होगा। गौरतलब है कि शैल-कला मानव जाति के सांस्कृतिक विकास यात्रा के प्रारंभिक चरण के अनमोल यादे हैं जिसकी रचना प्रागैतिहासिक काल के यायावर और गुफा-कंदरा निवासी मानव ने आरंभ की थी।

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शैव-कला से उस समय के लोगों के जीवन शैली, रीति-रिवाज, आचार-विचार और लोकाचार को जाना-समझा जा सकता है। ये शैल-कला स्थल घने जंगलों और दुर्गम क्षेत्रों में होते हैं। छत्तीसगढ़ के शैल-कला धरोहरों के प्रति जन जागरूकता का प्रसार करने के उद्देश्य से यह प्रदर्शनी तैयार की जा रही है जिसमें अभी तक प्रदेश के लगभग 13 जिलों से ज्ञात शैल-कला धरोहरों को मानचित्र व चित्रों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। प्रदर्शनी का उद्घाटन संस्कृति विभाग के सचिव अन्बलगन पी. करेंगे।

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संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित व्याख्यान कार्यक्रम में वरिष्ठ पुराविद् ए.के. शर्मा (पद्मश्री सम्मानित) धरोहरों के संरक्षण में लोगों की भूमिका, विशिष्ट अतिथि वक्ता डॉ. एस.बी. ओता, पूर्व संयुक्त महानिदेशक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, यूनेस्को के इस वर्ष की थीम के संदर्भ में ‘डायलॉग बिटवीन आर्कियोलॉजिकल हेरिटेज एंड नेचर कंजर्वेशन’ विषय पर और अतिथि वक्ता राहुल तिवारी, सहायक अधीक्षण पुरातत्वीय अभियंता, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण रायपुर मंडल, धरोहरों के अनुरक्षण तकनीक और प्रविधि पर अपने विचार रखेंगे।

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