मुख्यमंत्री ने की बड़ी घोषणा: गुरु तेग बहादुर की जीवनी को स्कूली पाठ्यक्रमों में किया जाएगा शामिल

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रायपुर. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व पर उनके समाज को दिए योगदान और जीवनी को छत्तीसगढ़ के स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की घोषणा की। सिख समाज के प्रथम गुरु संत गुरु नानक देव जी की छत्तीसगढ़ से जुड़ी स्मृति को चिरस्थाई बनाने के लिए बसना के करीब उनके प्रवास स्थान गढ़फुलझर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की घोषणा भी की।

मुख्यमंत्री ने कहा, गुरु तेग बहादुर जी के समाज में बड़े योगदान थे। वह एक बड़े समाज सुधारक योद्धा और विद्वान थे। सिख समाज के गुरुओं ने एक-एक व्यक्ति में साहस और पराक्रम भरने का काम किया। जब परिस्थितियां विपरीत थीं, तब समाज को संगठित करने का काम इन गुरुओं ने किया। सिख समाज के गुरुओं ने हिंदुओं की रक्षा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत यात्रा के दौरान गुरु नानक सिंह जी छत्तीसगढ़ के 2 स्थानों पर ठहरने का उल्लेख मिलता है, इसमें से एक अमरकंटक का कबीर चौरा है, जहां गुरु नानक देव जी महाराज और कबीर जी की मुलाकात हुई थी। वहीं दूसरा स्थान बसना के नजदीक गढ़फुलझर है, जहां गुरु नानक देव जी ने कुछ समय बिताया था।

गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व पर रायपुर के स्टेशन रोड और साइंस कॉलेज ग्राउंड में दो दिवसीय शताब्दी समारोह का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में 400 बच्चों ने 400 मिनट तक शबद कीर्तन पेश की। सतनाम, सतनाम वाहेगुरु जी… शबद को सुनने वाले सभी लोग भक्ति मय माहौल में वाहेगुरू से प्रदेश की खुशहाली की कामना करते नजर आए। बच्चों ने अपनी इस प्रस्तुति के लिए खास तैयारियां कर रखी थी। सभी ने एक साथ एक सुर में बड़े ही अच्छे ढंग से शब्द कीर्तन की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में बतौर मेहमान छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पहुंचे। उन्होंने सबसे पहले गुरु ग्रंथ साहिब के सामने मत्था टेका और छत्तीसगढ़ के लोगों के सुख समृद्धि की कामना की। कार्यक्रम के दौरान सिख समाज के लोगों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को शॉल श्रीफल सरोपा भेंट कर सम्मानित किया।

साइंस कॉलेज ग्राउंड में आयोजित कार्यक्रम में लुधियाना से आए कीर्तनकार से जोगिंदर सिंह व सुरजीत सिंह रसीला और कमलजीत सिंह निमाना ने शबद कीर्तन गायन कर वाहेगुरु से प्रार्थना की। इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से 3 से 4 हजार लोग पहुंचे हुए थे। जिन्हें शहर के अलग-अलग गुरुद्वारों में ठहराया गया और गुरु तेग बहादुर को याद करते हुए सिख समाज ने सेवा और सत्कार का संदेश दिया।

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