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Dhanteras 2023: इस धनतेरस बन रहा है ये शुभकारी योग, खरीददारी करने से घर में आएगी सुख शांति, समृद्धि….

रायपुर: हर साल दिवाली के जश्न की शुरुआत धनतेरस से होती है. इस वर्ष 10 दिसंबर को धनतेरस (Dhanteras) है. धार्मिक मान्यता है कि कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे. इस समय उनके हाथ में अमृत कलश भी था. अतः कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस कहा जाता है. ज्योतिषियों की मानें तो धनतेरस तिथि पर शुभकारी प्रीति योग का निर्माण हो रहा है. इस योग में खरीददारी करने से घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है.

शुभ मुहूर्त

कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 10 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट पर शुरू होगी और 11 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 57 मिनट पर समाप्त होगी.

खरीदारी

धनतेरस (Dhanteras) के दिन 10 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट से लेकर 11 नवंबर को सुबह 6 बजकर 40 मिनट तक खरीदारी का शुभ मुहूर्त बन रहा है. धनतेरस के मौके पर सोना-चांदी और बर्तन की खरीदारी करना बेहद शुभ माना जाता है.

पूजा

धनतेरस (Dhanteras) में पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 45 मिनट से शुरू होकर 7 बजकर 42 मिनट पर समाप्त होगा. इस शुभ मुहूर्त में, लक्ष्मी, गणेश, कुबेर देवता और धन्वंतरि देव की पूजा-अराधना का बड़ा महत्व होता है.

प्रीति योग

धनतेरस तिथि पर प्रीति योग का निर्माण हो रहा है. इस योग का निर्माण शाम 05 बजकर 06 मिनट के पश्चात हो रहा है. ये योग रात भर है. इस योग में पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी, साथ ही खरीदारी के लिए भी शुभ है. इस योग में शुभ काम भी कर सकते हैं.

करण योग

धनतेरस (Dhanteras) पर तैतिल और गर करण का निर्माण हो रहा है. सर्वप्रथम तैतिल करण के योग हैं. इसके पश्चात, गर करण का निर्माण होगा. ज्योतिष दोनों ही करण को शुभ मानते हैं. इन योग में शुभ कार्य कर सकते हैं. धनतेरस की खरीदारी गर करण के दौरान कर सकते हैं.

पूजा विधि

धनतेरस के दिन पूजा के शुभ मुहूर्त में उत्तर दिशा में गणेश-लक्ष्मी, कुबेर देवता और धन्वंतरि देव की प्रतिमा स्थापित करें. अब मंदिर में दीपक जलाएं और विधिवत सभी देवी-देवताओं की पूजा करें. उन्हें धूप, दीप, फल, फूल, अक्षत, चंदन, इत्र, मिठाई समेत सभी पूजा सामग्री अर्पित करें. इसके बाद कुबेर देवता के मंत्र ‘ॐ ह्रीं कुबेराय नमः’ का जाप करें. धन्वंतरि स्तोत्र का पाठ करें. इसके साथ ही माता लक्ष्मी की मंत्रों का जाप करें और सुख-समृद्धि की कामना करते हुए सभी देवी-देवताओं का ध्यान करें.

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