पुरस्कार के माध्यम से कार्यो को सम्मानित करने, सार्वजनिक तौर पर अच्छाईयों को उजागर करने और सबसे बडी चीज प्राप्तकर्ता को उसके सम्मान के माध्यम से और लोगो को नैतिकरूप से यह सिखा देना, कि कार्य की वास्तव में कितना अहम स्थान है, और कार्य ही पहचान है। हमारे जीवन में, और दुनियां में सबसे बडा क्राॅतिकारी कदम होता है, पहल करना और कार्यो के प्रति जागरूक होना, साथ ही अपने कार्यो के माध्यम से लोगो को प्रेरित करना।
आमतौर पर शासकीय प्रक्रिया को बहुत ही ढीला-ढाला और अधिकारी/कर्मचारी को कार्यो के प्रति जवाबदेह न होना, और लेट लतीफी के संबंध में मान्यता है, और यह मान्यता महज कुछ धारणाओं से नही, अपितु अनवरत चलने वाले सिलसिलो से बनता है, इसी कड़ी में कुछ लोग इस मान्यता को झूठे ठहरा देते है।
ऐसे ही एक सख्शियत है,जो औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा श्रम विभाग में क्लास वन अधिकारी रज्जू कुमार है। जिन्हे छत्तीसगढ़ के प्रथम मोटिवेशनल स्पीकर, एन एक्सीडेंटल इंजीनियर के तौर उन्हे पहचान मिली है, जो अपने कार्यो के माध्यम से सरकारी मान्यता के संबंध में लोगो की मान्यता को काफी हद तक तोड़ा है।
उनके कार्यो के प्रति लगन, आस्था का ही परिणाम है, कि पुरस्कार के तौर पर उन्हे ओ.एच.एस. एवं सामजिक योगदान के लिए राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार जो अंतराष्ट्रीय स्तर पर मुम्बई में आयोजित था, उसमे लाईफ टाईम एचीवमेंट एवार्ड से नवाजा गया है। वे छत्तीसगढ़ स्तर पर ही नही अपितु भारत स्तर पर प्रथम सरकारी अधिकारी हैं जो इस पुरूस्कार से नवाजे गए है। इसके अलावा छात्र जीवन में इन्हे सर्वश्रेष्ट छात्र, सरकारी काम के लिए सर्वश्रेष्ट अधिकारी, छ.ग. कला गौरवएवं कोविड वारियार के रूप में भी सम्मानित किया जा चुका है।
उनके कार्यो जिसमें कोविड अवधि अपने शासकीय कार्य के अलावा तीन माह तक हजारो लोगो के लिए भोजन की व्यवस्था, फंसे हुये श्रमिको, छात्रो, परिवारो के लिए उन्होने अपने शासकीय कार्य के अलावा अतिरिक्त प्रयास से किया था। वे भारत वर्ष में प्रथम आई.एस.ओ. मान्यता प्राप्त हाईजिन लैब की स्थापना छत्तीसगढ़ जैसे छोटे प्रांत में की है।
आमतौर पर लोग सरकारी कार्यालय को लेटलतीफी, असहयोग, लाल फीता शाही और शासकीय कार्यालयों में अफसर एवं स्टाफ के सामंजस्य या व्यवस्था के दृष्टिकोण से या समानुकुल आई.टी. का उपयोग न होना तथा अफसर के पहल करने की क्षमता, उत्साह एवं जनता एवं शासन के प्रति जवाबदेह के प्रति उत्साह आदि का नही होना पाया जाता है।
लेकिन एक्सीडेंटल इंजीनियर ने इन सबके परे, अपने कार्यो का संचालन पूरे शिद्दत से टीम भावना, जनता के प्रति जवाबदेह और व्यवस्था के दृष्टिकोण से शासकीय कार्यालय को कार्पोरेट के तर्ज पर शासन एवं जनता के प्रति जवाबदेह बनाया है, साथ ही साथ दिन प्रतिदिन अपने सृजनात्मक कार्यो के माध्यम से किया। शासकीय कार्यो में लगने वाले दाग को कम करने का प्रयास किया और यही उन्हे भीड़ से अलग बनाती है, वास्तव में ऐसे अधिकारी को पुरस्कृत करने से पुरस्कार भी स्वयंपुरस्कृत होती है।