Katghora : रेत खनन माफियाओं के होशले बुलंद,खुलेआम नियम कायदों का हो रहा उलंघन… आखिर प्रसासनिक अमला क्यो बना हुआ है मूकदर्शक..?

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अरविन्द शर्मा

कटघोरा (Katghor):पुरानी कहावत है “सैया भए कोतवाल तो डर काहे का” की तर्ज पर कटघोरा में रेत माफियाओं के होशले इस कदर बुलंद है कि इन्हें प्रशासनिक कार्यवाहियों का जरा भी ख़ौफ़ नही है,प्रशासन के नियम कायदों का ये इस कदर उलंघन करते हैं मानो प्रसासनिक नियम कायदे इनके घर की जागीर हो,अगर कोई इनके कारनामो के खिलाफ आवाज उठा कर कार्यवाही करने की मंशा जाहिर करे तो ये प्रशासन के नियम कायदों को अपने पैरों की जूती समझ इठलाते हुए शिकायतकर्ता को नीचा दिखाते हैं, मजे की बात यह है कि ये ऐसा कर भी सकते हैं क्योंकि स्थानीय प्रशासन इनके गोद में बैठकर दाढ़ी जो मुड़वा रहा है।

कटघोरा में रेत माफियाओं का गैंग सक्रिय रूप से अपने अवैध कार्यो को सरेआम अंजाम देने में लगा है पर मजाल है प्रशासन का कोई जिम्मेदार अधिकारी इनके खिलाफ कार्यवाही कर दे? बता दे कि कटघोरा के अहिरन नदी में रेत माफियाओं का कारनामा जारी होता है जहां खनन माफिया खुलेआम दिनरात बिना रॉयल्टी के नदी से रेत निकालकर धड़ल्ले से परिवहन कर अपने कार्यो को अंजाम देने में लगे हैं,और ग्राहकों से अनाप सनाप कीमत वसूल कर रेत की बिक्री कर रहे हैं।बता दे कि बरसात के शुरुआत में 15 जून से 15 अक्टूबर तक सभी रेत खदानें बंद हो जाती है।

Katghora

फिर भी कटघोरा के रेत माफियाओं को कोई फर्क नही पड़ता इन पर तो मोटी कमाई करने का भूत सवार रहता है जहां ये प्रशासन के नियम कायदों को ट्रेक्टर के पहिये तले रौंद रेत निकाल लेते हैं और प्रशासन केवल मूकदर्शक बन कर रह जाता है,जिसका सीधा उदाहरण है कटघोरा से लगे ग्राम जुराली में अहिरन नदी का, जहाँ खदान बंद होने के बावजूद रेत माफिया दर्जनों ट्रेक्टर लगाकर खुलेआम रेत निकालने में लगे हैं,पर प्रशासन को शायद नजर नही आता है।लिहाजा स्थानीय ग्रामीण रेत माफियाओं के अवैध कार्यो में दखल देकर अपना सिर फ़ूडवाने में लगे हैं।

ऐसा नही है कि मोके पर विभाग की टीम नहीं पहुँचती है, टीम भी पहुँचती है पर वो मोके पर उपस्थिति दर्ज करा कर बिना कार्यवाही के बैरंग लौट जाती है। अब सवाल यह उठता है कि जब खदान बंद है तो ट्रेक्टर में भरा रेत अवैध ही माना जायेगा ऐसे हालात में विभाग के आला अधिकारी कार्यवाही क्यो नही करते? आखिर विभाग कार्यवाही करने से क्यो मुँह फेर लेता है? आखिर रेत माफियाओं के आगे विभाग के आला अधिकारी क्यो हो जाते हैं नतमस्तक..?

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प्राप्त जानकारी अनुसार ग्राम जुराली से गदेलीपारा जाने वाले मार्ग से लगे अहिरन नदी से 2 जून को करीब एक दर्जन ट्रेक्टर रेत निकालने में लगे हुए थे,जहां ट्रैक्टरों के आवाजाही से गदेली पारा जाने वाला सीसी रोड़ पूरी तरह से छतिग्रस्त हो गया है जिस वजह से ग्रामीणों को आने जाने में भारी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ता है हालात ऐसे हो चुके की विषम परिस्थितियों में एम्बुलेंस भी नही पहुच सकेगा।

लिहाजा गुस्साए ग्रामीणों ने सभी ट्रैक्टरों को कार्यवाही के उद्देश्य से रोक कर प्रशासन के हवाले करने की मंशा से स्थानीय थाने को सूचना दी , जहां पुलिस टीम भी मौके पर पहुँची,जो कि बिना कार्यवाही किये ही मौके से बैरंग लौट गई,पुलिस टीम द्वारा बिना कार्यवाही के लौट जाने से ग्रामीणों को समझने में देर नही लगी कि ट्रेक्टर वालो से पुलिस की तगड़ी सेटिंग है,सूत्र बताते हैं कि रेत माफियाओं से पुलिस को मोटी आय होती है

इसलिए पुलिस के नाक तले अवैध रेत के साथ अन्य अवैध कार्य भी बेखोब तरीके से संचालित है जहां पुलिस कार्यवाही करने से बचती नजर आती है।बहरहाल अब देखना ये है कि रेत माफियाओं के अवैध कार्यो पर खनिज विभाग किस तरह की कार्यवाही करता है या आगे भी विभाग इनके आगे घुटने टेक अपनी जगहँसाई करवाता रहेगा।

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