नई दिल्ली : बसपा प्रमुख मायावती ने मंगलवार को कसम खाई कि अगर पार्टी सत्ता में आती है तो वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों को मिलाकर एक अलग राज्य बनाएगी और मेरठ में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की एक पीठ स्थापित करने की “लंबे समय से चली आ रही मांग” को पूरा करेगी।
उनकी टिप्पणी मेरठ सीट से अपनी पार्टी के उम्मीदवार के समर्थन में एक चुनावी रैली को संबोधित करते समय आई। इसके साथ ही उन्होंने भाजपा पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भाजपा की नीतियां मुख्यतः जातिवादी, पूंजीवादी, संकीर्ण, सांप्रदायिक और दुर्भावनापूर्ण हैं। उनका काम भी उनकी बातों से मेल नहीं खाता। ऐसा लगता है कि जो वादा किया गया था और जो पूरा किया गया, उसमें इस अंतर के कारण बीजेपी का सत्ता में वापस आना मुश्किल हो जाएगा।
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मायावती ने दावा किया कि कांग्रेस और भरतीय जनता पार्टी ने चुनावी घोषणा पत्र जारी करते हुए जनता से हर बार धोखा किया है। यही कारण है कि बसपा अपना घोषणा पत्र चुनाव में लेकर नहीं आती है, क्योंकि बसपा कहने में नहीं, करने में विश्वास रखती है। उन्होंने कहा कि इस बार भाजपा केंद्र की सत्ता में आसानी से वापस नहीं आएगी, बशर्ते मशीन में खराबी की जाए। इनकी कोई भी नाटकबाज़ी और जुमलेबाज़ी किसी काम नहीं आने वाली है।
उन्होंने आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस, भाजपा और समाजवादी पार्टी पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा नहीं चाहती कि एससी/एसटी समुदाय के लोगों को आरक्षण का लाभ मिले। उन्होंने कहा कि लखनऊ की तरह मेरठ में भी इलाहाबाद उच्च न्यायालय की खंडपीठ की आपकी पुरानी मांग के संबंध में हम सकारात्मक कदम उठाएंगे। केंद्र सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है लेकिन जब हम केंद्र में सत्ता में आएंगे तो इस संबंध में सकारात्मक कदम उठाएंगे।
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उन्होंने अपनी सरकार द्वारा एक अलग राज्य के लिए एक प्रस्ताव पारित करने का जिक्र किया जिसे केंद्र को भेजा गया था और कहा कि उनकी पार्टी का शुरू से ही विचार रहा है कि “क्षेत्र के बेहतर विकास” के लिए पश्चिमी क्षेत्र को एक अलग राज्य बनाया जाना चाहिए।
पूर्व मुख्यमंत्री ने सवाल पूछा, जब पदोन्नति में आरक्षण को प्रभावी बनाने के लिए राज्यसभा में बसपा संशोधन विधेयक लेकर आई तो सपा सांसदों ने संसद में इस बिल को फाड़ दिया था। आप खुद ही बताइए कि ऐसी समाजवादी पार्टी दलितों शोषितों का क्या भला कर सकती है? मायावती ने पश्चिमी क्षेत्र को मिलाकर अलग से राज्य बनाने का भी वादा किया।
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उन्होंने याद दिलाया कि मायावती सरकार ने प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार के पास भेजा था लेकिन केंद्र सरकार ने उसे अमल में नहीं लाया। 2011 में मायावती सरकार ने उत्तर प्रदेश को विभाजित कर पूर्वांचल, पश्चिमी उप्र और बुंदेलखंड को अलग राज्य बनाने का प्रस्ताव पारित किया था। उन्होंने जोर देकर कहा कि केंद्र में हमारी पार्टी सत्ता में आयी तो पश्चिमी उप्र को अलग राज्य बनाया जाएगा।