शासकीय दूधाधारी बजरंग महिला महाविद्यालय में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

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रायपुर : छत्तीसगढ़ राज्य के सबसे बड़े महिला महाविद्यालय शासकीय दूधाधारी बजरंग महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय रायपुर में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता पर naac बेंगलुरु द्वारा प्रायोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिस का विषय था “संस्थागत गुणवत्ता व सुधार में प्रशासन, नेतृत्व , प्रबंधन की भूमिका”

उद्घाटन सत्र में अध्यक्षता शारदा वर्मा आयुक्त उच्च शिक्षा विभाग छत्तीसगढ़ शासन ने की ,तथा समापन सत्र में मुख्य अतिथि डॉ सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे (आईएएस) रहे। प्राचार्य डॉ किरण गजपाल ने स्वागत के पश्चात महाविद्यालय का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया और बताया कि महाविद्यालय का लक्ष्य ज्ञान के साथ-साथ संपूर्ण व्यक्तित्व का विकास करना है। महाविद्यालय में प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु चयनित छात्राओं के लिए कोचिंग का संचालन किया जा रहा है।

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छात्राओं में समय अनुरूप तकनीकी ज्ञान के साथ-साथ नैतिक मूल्यों से अवगत कराने पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं । प्राचार्य ने संगोष्ठि के विषय पर प्रकाश डालते हुए बताया कि प्रशासन ,नेतृत्व और कुशल प्रबंधन से किसी संस्था को उच्च शिखर में पहुंचाया जा सकता है। कार्य क्षमता के अनुसार कार्य विभाजन ही अच्छे प्रशासन का गुण है, सकारात्मक सोच व सक्रियता के साथ समस्या का निराकरण किया जा सकता है।

क्षेत्रिय अपर संचालक डॉ सी एल देवांगन जी ने अपने सार गर्भित संबोधन में महाविद्यालय के नेतृत्व पर सकारात्मक विचार रखते हुए भविष्य में महाविद्यालय को A ग्रेड प्राप्त करने की आशा व्यक्त की ।

राष्ट्रीय संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए आयुक्त शारदा वर्मा जी ने अपने उदबोधन में बताया कि NAAC की प्रक्रिया को सहज तरीके से तनावमुक्त होकर सम्मिलित प्रयास से किया गया जिसका परिणाम है राज्य के 164 महाविद्यालय का NAAC ग्रेडिंग हो चुका है और इसका श्रेय प्राचार्य से भृत्य व विद्यार्थियों को दिया जाना चाहिए । उच्च शिक्षा विभाग की भूमिका उत्प्रेरक की रही। विभाग की नीति राज्य के महाविद्यालयो के हाथ थामे रखने से हृदय में उतरने की रही जिससे असम्भव लक्ष्य को भी सहज रूप से प्राप्त किया जा सका।

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आयुक्त महोदय ने कहा कि कोई भी महाविद्यालय श्रेष्ठ वहाँ कार्य करने वाले अच्छे लोगों से बनता है ।महाविद्यालय सिर्फ शिक्षा ग्रहण करने का केंद्र नही है अपितु विद्यार्थियों के लिए जो समाज के भावी नागरिक है उनके लिए प्रकाशस्तंभ के रूप में कार्य करता है जो सिर्फ नेतृत्व प्रबंधन व गवर्नेंस से संभव है ।

जिलाधीश महोदय ने कहा कि महाविद्यालयीन शिक्षा में अनुभवी और प्रबुद्ध प्राध्यापकों द्वारा अध्यापन कराया जा रहा है। साथ ही naac के मापदंडों के अनुरूप हमें विकास का प्रयास करना चाहिए। विद्यार्थी कभी अपने प्राध्यापक को नहीं भूलते ,ये बहुत ही नोबल प्रोफेशन है ।

IQAC प्रभारी डॉ उषा किरण अग्रवाल ने कार्यक्रम का सफल संचालन किया व सफल प्रबंधन और प्रशासन के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला।

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संगोष्ठी में रिसोर्स पर्सन के रूप में जे.योगानंदम छत्तीसगढ़ कॉलेज के प्रोफेसर तपेश चंद्र गुप्ता जी ने विषय पर बोलते हुए समन्वय व समय प्रबंधन को गुड गवर्नेंस का आधार बताया । व्यक्ति हो या समाज या संस्था अभ्यास से ही गुणवत्ता लायी जा सकती है ।

ग्रुप डिस्कशन का विषय “विकास में नेतृत्व की भूमिका समस्या व समाधान” था जिस पर महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापकों ने अपनी बातें रखी और निष्कर्ष निकला कि प्रबंधक पैदा नहीं होते अपितु अभ्यास व चुनौती से बनाए जाते हैं। यदि किसी को अवसर देते हैं तो वह नेतृत्व को स्वीकार करता है तथा इससे नेतृत्वकर्ताओं अधिनस्थ दोनों की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है।

विषय विशेषज्ञ डॉ जगजीत कौर सलूजा ने कहा कि नेतृत्व के लिए संस्थागत विजन होना चाहिए।इसे एक मिशन की तरह लेना चाहिए इसमें ई गवर्नेंस का महत्व बढ़ रहा है ।

इस अवसर पर वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ श्रद्धा गिरोलकर, डॉ एम, एल वर्मा , डॉ प्रीति शर्मा, डॉ सविता मिश्रा, डॉ गौतमी भतपहरी, डॉ नीतू हरमुख, डॉ रमा सरोजिनी, डॉ रिचा शर्मा,चंद्रज्योति, डॉ नितिन पांडे, डॉ कल्पना मिश्रा आदि उपस्थित रहे। सौ से अधिक प्रतिभागियों ने पंजीयन कराया ।

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