रायपुर : रायपुर के राजकुमार कॉलेज(RKC) स्कूल में अचानक ही 12 साल की बच्ची की मौत हो गई। मिली जानकरी के मुताबिक मौत से चंद मिनटों पहले बच्ची स्कूल में अपने साथियों के साथ हंस रही थी, डांस कर रही थी। तभी उसे चक्कर आ गया, बच्ची ने कहा उसे कुछ अच्छा महसूस नहीं हो रहा।
इसके बाद बच्ची बेसुध होने लगी। उसे अस्पताल पहुंचाया गया। बताया जा रहा है कुछ ही देर बाद बच्ची की मौत हो गई। ये घटना मंगलवार रात की है। बच्ची के परिजनों को सूचित किया गया। बुधवार को वो भी पहुंचे बच्ची का शव उन्हें सौंप दिया गया। बच्ची का अंतिम संस्कार कर दिया गया है, हालांकि इससे पहले मौत की गुत्थी सुलझाने के मकसद ये बच्ची का अस्पताल की ओर से पोस्टमार्टम करवाया गया है। गुरुवार को इस मामले की जानकारी सामने आ सकी है।
राजकुमार कॉलेज के प्रिंसिपल ने बताया
इस घटना के बारे में राजकुमार कॉलेज के प्रिंसिपल रिटायर्ड लेफ्टीनेंट कर्नल अविनाश सिंह ने बताया कि बच्ची की तबीयत बिगड़ने के बाद उसे स्कूल मैनेजमेंट ने अस्पताल पहुंचाया। स्कूल के पास एम्बुलेंस की सुविधा है, उसी के जरिए बच्ची को पास के स्वपनिल अस्पताल ले जाया गया। वहां से बच्ची को रामकृष्ण अस्पताल ले जाया गया। प्रिंसिपल ने कहा- मुझे जानकारी है कि बच्ची की मेडिकल कंडीशन बिगड़ी, डॉक्टर्स इलाज कर रहे थे,लेकिन उसकी दुखद मौत हो गई। हम बच्ची का नाम और कक्षा नहीं बता सकते, ये प्राइवेसी पॉलिसी के तहत है।
बच्ची के परिजनों को सूचित कर दिया गया है। मेडिकल जांच जारी है उसके बाद ही कुछ कहा जा सकेगा कि बच्ची के मौत की वजह क्या है। चर्चा है कि बच्ची डांस करते वक्त चोटिल हुई और उसकी मौत हो गई, इसे स्कूल के प्रिंसिपल ने अफवाह बताया है।
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महज 12 साल की बच्ची की मौत कैसे हो गई, स्कूल में भी इस बात को लेकर कई तरह की चर्चाएं हैं। अस्पताल सूत्रों के मुताबिक बच्ची के फेफड़ों में समस्या थी, उसे सांस लेने में तकलीफ अधिक होने की वजह से उसकी हालत बेहद नाजुक होती चली गई, बच्ची को वेंटीलेटर पर ले जाया गया। मगर उसे बचाया नहीं जा सका। स्कूल प्रबंधन ने इसे मेडिकल मामला बताया है।
राजकुमार कॉलेज इतिहाकारों के मुताबिक 1882 में जबलपुर में सर एंड्रयू ने इसे तैयार करवाया। फिर बोर्डिंग हाउस सुविधाओं के साथ 1894 में कॉलेज को रायपुर स्थानांतरित कर दिया गया। इसका कैंपस 130 एकड़ में है। यह कॉलेज बारहों महीने हरियाली को लेकर सुर्खियों में रहता है। बताया जाता है कि यह एक बेहतरीन घड़ी है, जिसे सारंगढ़ रियासत के राजा जवाहर सिंह ने लगवाई थी।
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इतिहासकार आचार्य रमेंद्र नाथ मिश्र ने बताया कि शुरू से ही कॉलेज की शिक्षा प्रणाली देश समेत विश्व भर में विख्यात है। राजाओं, जमींदारों की संतानों को पढ़ाने के लिए यह कॉलेज बनाया गया था। उस समय इसे पूर्वी भारत का सबसे बेस्ट इंग्लिश मीडियम स्कूलों में गिना जाता था। हालांकि नाम कॉलेज है, लेकिन पढ़ाई स्कूल की होती है।
नर्सरी से लेकर 12वीं तक यहां स्टूडेंट्स हैं। राजकुमार कॉलेज की संबद्धता काउंसिल ऑफ इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (सीआइएससीई) से है। यहां छत्तीसगढ़, ओडिशा, बिहार समेत अन्य राज्यों के राजघरानों, जमींदारों के बच्चे पढ़ा करते थे। आज भी कुछ राजपरिवारों के बच्चे यहां पढ़ते हैं।