साक्षरता दिवस के अवसर पर शासकीय डीबीपीजी काॅलेज में कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें प्राचार्य महोदया डाॅ.किरण गजपाल ने अध्यक्षीय भाषण में साक्षरता दिवस पर आयोजित कार्यक्रम की प्रासंगिकता को रेखांकित करते हुए कहा, कि हमारे देश की सरकार द्वारा अनेको प्रयत्न किये जा रहे हैं, लेकिन जब तक हमारे देश के अंतिम व्यक्ति तक शिक्षा की रोशनी पहुंच नहीं जाती, तब तक प्रयत्न जारी रखे जाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया, कि सरकारी योजनाओ में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम, राजीव गांधी शिक्षा मिशन, साक्षरता अभियान चलाए जा रहे हैं, लेकिन वे पर्याप्त नहीं हैं, इसके लिये शिक्षित बेरोजगारों की सहायता ली जानी चाहिये। हर व्यक्ति अगर एक निरक्षर व्यक्ति को साक्षर बनाने का संकल्प ले, तो हमारे देश का साक्षरता प्रतिशत बढ़ सकता है, जो अभी विश्व साक्षरता प्रतिशत से पीछे है।
कार्यक्रम की संयोजक डाॅ.ऋचा शर्मा ने बताया, कि विश्व साक्षरता दिवस मनाने का मुख्य कारण है, जन जागरूकता का प्रसार करना। हमारे देश में 74 प्रतिशत साक्षरता है, जबकि विश्व साक्षरता का प्रतिशत 84 है। सबसे अधिक साक्षरता 91 प्रतिशत केरल राज्य की है, और सबसे कम 64 प्रतिशत बिहार की। केन्द्र शासित प्रदेशों में लक्षद्वीप की सबसे अधिक 91 प्रतिशत है। हमारे देश में ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी, अंथविश्वास के चलते लड़कियों का साक्षरता प्रतिशत कम है। उनकी प्राथमिक शाला के बाद पढ़ाई छुड़वा दी जाती है। इसके अलावा 8 से 14 वर्ष के 8 करोड़ बच्चे ऐसे हैं, जो बाल मजदूरी करते हैं, या घर पर काम करने के लिये उनकी पढ़ाई छुड़वा दी गई है। यदि हर शिक्षित ग्रेजुएट एक व्यक्ति को साक्षर करने का संकल्प ले, तो हमारा देश संपूर्ण साक्षर हो सकता है।
इसके बाद महिविद्यालय की वरिष्ठ प्राध्यापक डाॅ.श्रद्धा गिरोलकर ने छात्राओं का आव्हान करते हुए उन्हें संकल्प कराया, कि वे कम से कम एक व्यक्ति को साक्षर अवश्य करें। छात्राओं ने भी अभिव्यक्ति दी।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्राएं व प्राध्पापक गण उपस्थित रहे। महाविद्यालय की आईक्यूएसी प्रभारी डाॅ उषाकिरण अग्रवाल एवं साक्षरता समिति की हेमलता साहू एवं विनिता साहू विशेष तौर पर उपस्थित रहीं।