कर्नाटक : कर्नाटक के चित्रदुर्ग में स्थित मुरुग मठ के महंत शिवमूर्ति मुरुग शरनारू को यौन उत्पीड़न मामले में पुलिस ने हिरासत में ले लिया है. उन्हें पुलिस ने हावेरी से हिरासत में लिया. इधर महंत ने अपने ऊपर लगे आरोपों को गलत बताया.
अपने खिलाफ यौन उत्पीड़न से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत मामला दर्ज होने के बाद महंत शिवमूर्ति मुरुग शरनारू ने इस मामले पर चुप्पी तोड़ी. उन्होंने दावा किया कि यह उनके खिलाफ लंबे समय से जारी साजिश का हिस्सा है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वह उच्च माध्यमिक विद्यालय की छात्राओं के कथित यौन उत्पीड़न से जुड़े मामले में पाक-साफ साबित होंगे.
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शरनारू ने यह भी कहा कि वह कानून का पालन करने वाले व्यक्ति हैं और जांच में सहयोग करेंगे. महंत ने कहा, आप में से कई लोग मुरुग मठ की पीड़ा को अपना मानते हैं और मैं साहस के साथ आपके लिए खड़ा हूं, आपके लिए चिंता की कोई बात नहीं है. हम सब साहस, धैर्य और बुद्धिमानी के साथ स्थिति का सामना करेंगे और समाधान खोजेंगे.
Shivamurthy Murugha Sharanaru, the chief pontiff of Murugha Math reached mutt and addressed the public after he was booked under sections of POCSO Act for allegedly assaulting girl students at the institution run by the mutt pic.twitter.com/yDmY4gaaYD
— ANI (@ANI) August 29, 2022
महंत ने कहा, ऐसा पहली बार नहीं है, जब उन्हें इस तरह के हालात का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि पिछले 15 साल से मठ के अंदर इस तरह के षड्यंत्र चल रहे हैं. महंत ने कहा, कई वर्षों से जो षड्यंत्र चल रहे थे, वे अब बाहर आ चुके हैं. इन सभी मुद्दों का तार्किक समाधान होगा. मुझे तार्किक अंत खोजने के लिए आपके सहयोग की आवश्यकता है.
उल्लेखनीय है कि मैसुरु पुलिस ने शनिवार को उच्च माध्यमिक विद्यालय की छात्राओं के कथित यौन उत्पीड़न को लेकर शरनारू के खिलाफ पॉक्सो कानून तथा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की कुछ धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की है. जिला बाल संरक्षण इकाई के एक अधिकारी की शिकायत के आधार पर मठ के छात्रावास के वार्डन समेत कुल पांच लोगों के खिलाफ यह प्राथमिकी दर्ज की गई है.
जानिए क्या है मामला
बताया जा रहा है कि मुरुग मठ के छात्रावास में 15 और 16 साल की लड़कियों का साढ़े तीन साल से अधिक समय से यौन शोषण किया जा रहा था. दो पीड़ित छात्राओं ने मैसुरु के गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘ओडनाडी सेवा समस्थे’ से संपर्क कर अपनी आपबीती सुनाई थी. इसके बाद एनजीओ ने पुलिस से संपर्क किया, जिसने मामले में प्राथमिकी दर्ज की.