मुंबई : बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग के खिलाफ पक्षपात का आरोप लगाने वाले ठाणे के एक पत्रकार की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने सपन श्रीवास्तव की अपील पर विचार करने से इनकार कर दिया, जो खुद को पत्रकार होने का दावा करते हैं, जिनके खिलाफ नंदराजोग की अध्यक्षता वाली हाई कोर्ट की पीठ ने जनहित याचिका क्षेत्राधिकार का दुरुपयोग करने के लिए 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।
छत्तीसगढ़ : बोरी में बंद मिली मासूम की लाश…रविवार रात से गायब था नाबालिग
पीठ ने 21 अक्टूबर को अपने आदेश में कहा कि हम संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत अपने अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं देखते हैं। इसलिए एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) खारिज की जाती है। श्रीवास्तव ने 2019 में बॉम्बे हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर काउंसिल फॉर इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (CISCE) के संचालन को रोकने का निर्देश देने की मांग की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि शिक्षा बोर्ड के पास केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय से स्वीकृत नहीं है।
हाई कोर्ट ने श्रीवास्तव पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए जनहित याचिका खारिज कर दी थी। शीर्ष अदालत ने सुनवाई की शुरुआत में सुझाव दिया कि वह हाई कोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप नहीं करेगी, सिर्फ जुर्माने को कम करने पर विचार करेगी। श्रीवास्तव ने नंदराजोग के खिलाफ अपने आरोप को दोहराते हुए कहा मैं इसे पूरी तरह समाप्त करना चाहूंगा। इसके बाद पीठ ने इसमें हस्तक्षेप किए बिना अपील को खारिज कर दिया।
आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने रेत से बनाई मां काली की मूर्ति, 6 टन रेत और 4045 दीयों का किया इस्तेमाल
श्रीवास्तव ने सुझाव दिया था कि चूंकि अब सेवानिवृत्त हो चुके न्यायमूर्ति नंदराजोग ने आईसीएसई स्कूल से शिक्षा प्राप्त की थी, वह पक्षपाती थे और अपने स्वयं के मामले में न्यायाधीश नहीं हो सकते। हाई कोर्ट ने उनकी जनहित याचिका को खारिज करते हुए आदेश दिया था कि उनके द्वारा दायर की जाने वाली कोई अन्य नई जनहित याचिका पर तब तक विचार नहीं किया जाएगा जब तक कि वह जुर्माना जमा नहीं कर देते। न्यायमूर्ति नंदराजोग को 20 दिसंबर, 2002 को दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था, 23 फरवरी, 2020 को बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त हुए।