रेल अधिनियम, 1989 (Railways Act, 1989) की धारा 147 (अतिचार और अतिचार से प्रतिविरत रहने से इंकार करना) में प्रावधान है कि यदि कोई व्यक्ति किसी रेल पर या उसके किसी भाग में विधिपूर्ण प्राधिकार के बिना प्रवेश करेगा या ऐसे भाग में विधिपूर्ण रूप से प्रवेश करने के पश्चात ऐसी संपत्ति का दुरुपयोग करेगा या वहां जाने से इनकार करेगा, तो वह कारावास से, जिसकी अवधि छह महीने तक की हो सकेगी या जुर्माने से जो एक हजार रुपये तक का हो सकेगा, दोनों से दंडनीय होगा.
रेल अधिनियम की धारा 145 और 147 के तहत रेल की पटरी या किनारे सेल्फी लेना दंडनीय अपराध है. ऐसा करने पर 1000 रुपये का ज़ुर्माना या साथ में 6 महीने की जेल भी हो सकती है. दरअसल, अधिनियम की धारा 145 (मत्तता या बाधा) कहती है कि जानबूझकर या किसी प्रतिहेतु के बिना रेल प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराई गई किसी सुख – सुविधा में बाधा डालेगा, जिससे किसी यात्री की आरामदायक यात्रा में प्रभाव पड़ता हो, तो वह किसी रेल सेवक द्वारा हटाया जा सकेगा और उसके पास या टिकट के समपहरण के अतिरिक्त कारावास से, जो छह मास तक का हो सकेगा और जुर्माने से दंडनीय होगा.