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यहां के वकीलों ने लगाए राजस्व अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप, मुख्यमंत्री के नाम जिला प्रशासन को ज्ञापन..

संवाददाता:- सुमित जालान

*यहां के वकीलों ने लगाए राजस्व अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप, मुख्यमंत्री के नाम जिला प्रशासन को ज्ञापन..*

गौरेला पेंड्रा मरवाही: जिले के पेंड्रारोड अधिवक्ता संघ ने एक बार फिर राजस्व विभाग के अधिकारी कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाया है। वही संघ ने कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन सौंप कर राजस्व विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की मांग की है।

संघ ने अधिकारियों पर लगाए गंभीर आरोप

अधिवक्ता संघ की ओर से पत्र में लिखा गया है कि जिले के तहसील कार्यालयों पेण्ड्रारोड, पेण्ड्रा, सकोला के राजस्व विभाग के सभी अधिकारी कर्मचारी भ्रष्टाचार के चरम सीमा को पार गये है। अपने दायित्वों एवं कर्तव्यों के प्रति निष्क्रिय शून्य है। कर्मचारियों पर अधिकारियों का कोई नियत्रंण नहीं है। न्यायालीन कार्यालीन समय में अक्सर कर्मचारी पान ठेला या चाय के दुकानों में गप मारत रहते है, कोई भी अधिकारी न्यायालीन समय में न्यायिक कार्य हेतु न्यायालय में नहीं बैठते हैं। सीमाकंन, नामान्तरण, बंटवारा, भू अभिलेख से संबंधित जैसे सामान्य काम काज के लिये अधिवक्ताओं, पक्षकारों एवं आम जनता को चक्कर काटना पड़ता है, और काम कराने के लिए रिश्वत की माँग करते है।

बिना रिश्वत के नहीं होता कार्य

राजस्व न्यायालायों/कार्यालयों में अधिकारी/कर्मचारी बिना रिश्वत के कार्य नहीं करते है। डायवर्सन, नामान्तरण,बटवारा आदि प्रकरणों में बिना रिश्वत लिये आदेश पारित नहीं करते। रिश्वत नहीं दिने जाने पर 4 से 5 माह आदेश ही पारित नहीं करते। बिना रिश्वत के पटवारी अभिलेख दुरूस्त नहीं करते, सीमाकंन नहीं करते, प्रतिवेदन प्रस्तुत नहीं करते, नकल आवेदन की रसीद, आवेदन पत्रों का आनलाईन / आफलाईन पंजीयन बिना रिश्वत लिये नहीं करते। रिश्वत नहीं दिये जाने पर आवेदन पत्रों को गायब कर दिया जाता है। विधि के आज्ञापक प्रावधान नोटिस, इश्तहार बिना रिश्वत का जारी नहीं होता।

मनमाने ढंग से तहसीलदार करते हैं आवेदन पत्र खारिज

राजस्व अधिकारियों खासकर तहसीलदारों के द्वारा मनमाने ढंग से आवेदन पत्रों को खारिज कर दिया जाता है, और बाद में रिश्वत लेकर हितबद्ध व्यक्तियों / पक्षकारों / अधिवक्ताओं को सूचना / जानकारी दिये बिना अवैध लाभ पहुँचाते है। अनेक प्रकरणों में दलालों की सकियता इतनी व्याप्त है कि अधिकारी/कर्मचारी उन्हीं के माध्यम से आवेदन लेते है, और तत्काल निराकरण कर देते है। राजस्व अधिकारी/कर्मचारियों का मनोबल इतना बढ़ गया है कि कहीं भी शिकायत कर लो / कुछ भी कर लो की धमकी देते है।

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