छत्तीसगढ़ में समग्र आंदोलन की जरूरत इसलिए नहीं कि केवल पत्रकारों पर अत्याचार हो रहे हैं

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कांग्रेस राज में अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोटने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे. महज कांग्रेस के 3 वर्ष के कार्यकाल में सैकड़ों पत्रकारों के साथ अन्याय, अत्याचार, फर्जी f.i.r. जानलेवा हमला कर दमन नीति लगातार जारी है और प्रदेश सरकार दृष्टराष्ट्र की तरह आंखों में पट्टी बांधकर मौन समर्थन दे रही है, पत्रकार सुरक्षा कानून का वादा कर 15वर्षो के वनवास से लौटे छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार पत्रकारों को जेलों में बंद कर अभिव्यक्ति की आजादी को कुचलने का कुत्सित प्रयास निरंतर जारी है. पुलिस प्रशासन की तानाशाही और दमन के आगे झुकेंगे नहीं, लड़ेंगे और जीतेंगे…

मामला केवल जितेंद्र जायसवाल की गिरफ्तारी का नहीं है अभी वर्तमान में 5 से ज्यादा पत्रकार छत्तीसगढ़ के जेल में बंद है बिना किसी अपराध के , साथ ही 50 से ज्यादा पत्रकारों के खिलाफ कोर्ट में मामले लंबित हैं इसके अलावा लगभग 50 से ज्यादा पत्रकार साथी के खिलाफ वारंट तामील होने शेष हैं । जब भी किसी पत्रकार पर कार्रवाई होती है तो अधिकांश लोगों को सबसे पहला बहाना मिलता है साथ ना देने का वह है उसके ऊपर सीधे-सीधे ब्लैकमेलर का आरोप लगा देना फिर दूसरा बहाना मिलता है यह उल्टा सीधा लिखता था तीसरा बहाना मिलता है कि वह पत्रकार ही नहीं था इस तरह से बहानो की कमी नहीं है मगर हमें इन सब की परवाह नहीं है आंदोलन होकर ही रहेगा ।

जो लोग जायसवाल की भाषा पर आक्षेप कर रहे हैं और साथ ना देने का बहाना बना रहे हैं ? वह लोग नीलेश शर्मा जैसे व्यंग्यकार की भाषा की तारीफ क्यों नहीं कर रहे हैं उसके साथ खड़े क्यों नहीं है , मनीष सोनी Manish Kumar जैसे गम्भीर पत्रकार के समय चुप्पी क्यों साध रखे थे ? Sushil Sharma जैसे वरिष्ठ पत्रकार के साथ केवल पत्रकारिता की वजह से जब सरकार ने बदले की कार्यवाही की तब भी लोगों ने उन पर भाषा को लेकर सवाल उठाया था और साथ ना देने के लिए अपना रास्ता ढूंढ लिया था । जो लोग मध्य प्रदेश में बिना किसी न्यायालय के फैसले की प्रतीक्षा के सीधे खुद दंगे कराकर अल्पसंख्यकों के घरों में बुलडोजर चलाने को लेकर गुस्सा प्रकट कर रहे हैं वे छत्तीसगढ़ के पत्रकार सुनील नामदेव के घर में बुलडोजर चलाने पर चुप क्यों हैं ? इस घटना का विरोध करने का साहस क्यों नहीं उठा पा रहे हैं ?

यह भी याद रखें जिस भाजपा पर धार्मिक दंगे फसाद का आरोप हमेशा लगते रहा है, पूरे देश में गृह युद्ध का माहौल बनाने का आरोप लग रहे हैं उसी भाजपा के 15 साल की सरकार के दौरान छत्तीसगढ़ में कम से कम आपसी सद्भाव खत्म नहीं हुआ, मगर इस सरकार के सवा 3 साल के दौरान ही छत्तीसगढ़ में तमाम वर्गों, जातियों, व धर्मों के बीच लगातार मतभेद बढ़ रहे हैं । सरकार की पूरी कोशिश दंगाइयों को मदद करने की भाजपा से भी ज्यादा दिख रही है मतलब मैं यहां सीधा कह सकता हूं कि आरएसएस के एजेंडे को भाजपा के 15 साल की सरकार की जगह कांग्रेसमें यहां की जनता पर खूब लादा गया है । कारपोरेट लूट के भाजपा के एजेंडे को भी इस सरकार ने चौगुनी गति से आगे बढ़ाया है, जनता के साथ लूट के मामले में यह सरकार पूरी तरह से केंद्र सरकार के साथ खड़ी नजर आती है राजनीतिक हलकों में यह अफवाह भी फैला हुआ है कि यह सरकार पूरी तरह से भाजपा के केंद्र सरकार से ब्लैकमेल होकर कांग्रेश की नीतियों और सिद्धांत के खिलाफ जाकर काम कर रही है ।

ध्यान रखें छत्तीसगढ़ की किस सरकार ने सत्ता में आते ही सबसे पहले एक पत्रकार पर बिजली विभाग की खबर छापने के कारण से राजद्रोह तो लगा दिया था जबकि उन्होंने चुनाव में राजद्रोह जैसे धारा का विरोध किया था और सबसे बड़ी बात आप यह भी ना भूलें की सरकार बनने के 3 माह के भीतर कल्लूरी जैसे अधिकारी को जो पत्रकारों , समाजसेवियों, व खुद भूपेश बघेल जैसे नेताओं को प्रताड़ित करने के लिए बदनाम थे उसे सीधे ईओडब्ल्यू जैसे महत्वपूर्ण विभाग का चीफ बनाया गया । जबकि खुद को प्रताड़ित करने वाले मुकेश गुप्ता जैसे अधिकारी के खिलाफ अब तक कुछ कार्यवाही नही कर पाए, पिछली सरकार के सारे घोटालों को लेकर पता नही क्या गोपनीय समझौता हुआ कि खुद खत्मा रिपोर्ट डालने लगे ।

पुलिस के जवान पत्रकार किसान युवा शिक्षाकर्मी आदिवासी पिछड़े वर्ग किसके साथ ही सरकार ने धोखा नहीं किया सबके साथ किए गए वादा इन्होंने आज सवा 3 साल होने के बाद भी पूरा नहीं किया बल्कि उल्टे उनके साथ अत्याचार करने लगे हैं आपको याद होगा कि देश के पर्यावरण विशेषज्ञों की रिपोर्ट के खिलाफ जाकर इन्होंने पूरे देश के पर्यावरण को नष्ट करने के लिए सरगुजा के सबसे हरे-भरे जंगल के डेढ़ लाख हेक्टेयर से ज्यादा जमीन राजस्थान सरकार और अडानी जैसे कारपोरेट घरानों को सौंप दिया ।

अभी अंतागढ़ के एक सभा के दौरान जब मैंने खुद इनसे सवाल किया तो इनका कहना है कि 3:15 साल की सरकार की पहली ऊपर उपलब्धि यही है आदिवासियों के मामले में इनको अभी अभी पेसा कानून का ड्राफ्ट मिला है और उस ड्राफ्ट को समझने में भी अभी इनको कुछ साल लग सकते हैं मतलब पूरे आदिवासियों को जब तक खत्म नहीं करेंगे तब तक इनकी इच्छा सत्ता छोड़ने की नहीं है, बाकी आप सब को पता ही है कि पत्रकार सुरक्षा कानून का ड्राफ्ट पूरी तरह बन जाने के बाद भी कई विधानसभा सत्र निकल गए मगर उसे कानून के रूप में इन्होंने पेश नहीं किया , अधिवक्ता अधिवक्ता सुरक्षा कानून का ड्राफ्ट भी पेंडिंग पड़ा है ।

इसलिए ऐसी झूठी सरकार को सबक सिखाने के लिए मैं तमाम जन संगठनो, अधिवक्ताओं, पुलिस के जवानों पुलिस परिवार, किसानों, नौजवानों, आदिवासियों और तमाम पिछड़े वर्ग के लोगों, प्रदेश के क्रांतिकारियों, समाज सेवी सब का आह्वान करता हूं कि एक साथ मिलकर इस सरकार के खिलाफ एक बड़ी लड़ाई छेड़ी जाए। पुनश्च: यह लड़ाई केवल जितेंद्र जायसवाल या केवल पत्रकारों की लड़ाईया केवल सरगुजा व सरगुजा पुलिस के खिलाफ नहीं है, यह लड़ाई पूरे प्रदेश के लोगों के हैं ।

विशेष टिप्पणी : मुझे पता है यह सरकार के तानाशाही रवैए से सरकार के खुद मंत्री परिषद के कई सदस्य, प्रमुख नेता और प्रदेश भर के कार्यकर्ता काफी नाराज चल रहे हैं उन सभी को भी मैं इस आंदोलन में किसी न किसी रूप में शामिल होने के लिए आमंत्रित करता हूं ।

नोट : A : बिना चश्मा के बोलकर टाईप किया गया है कुछ टाइपिंग त्रुटि होगी और आपका उचित सलाह स्वीकार कर तो धीरे धीरे अपडेट किया जाएगा

B: कृपया समग्र आंदोलन की तैयारी के संबंध में जूम/ गो मीट, ट्यूटर स्पेश, स्काईप और अन्य माध्यम से ऑनलाइन मीटिंग की तैयारी की जा रही है अतः इस मीटिंग में शामिल होने के लिए समस्त जन संगठन राजनीतिक पार्टियां प्रदेश के क्रांतिकारी प्रदेश के बुद्धिजीवी अधिवक्ता साथी युवा आदिवासी नेता पिछड़े वर्ग समाज के नेता कर्मचारी नेता और सरकार के कृत्यों व झूठे वादों से परेशान समस्त वर्ग के नेताओं से मैं अपील करता हूं कि इस पोस्ट में अपने नंबर व परिचय भी ( ताकि प्रदेश के जासूसों से बचा जा सके ) प्रदान करें जिससे कि आपको इस मीटिंग से जोड़ा जा सके, कृपया यह भी ध्यान रखें की आईडी के साथ आपका प्रोफाइल फोटो भी वास्तविक हो

C: समस्त नंबर प्राप्त होने के बाद एक संयुक्त समिति बनाई जाएगी , कोशिश होगी कि जन नेताओं क्रांतिकारियों बुद्धिजीवी के साथ ही समस्त संगठनों को प्रतिनिधित्व मिल सके जो आगे की कार्य योजना के संबंध में चर्चा कर और मीटिंग की तिथि और मीटिंग में शामिल होने वालों के नाम तय किये जाएंगे इसके बाद ही मीटिंग का लिंक और तिथि शेयर किया जाएगा ।

D : आंदोलन का नेतृत्व किसी एक हाथ में नहीं रहेगा यह एक समिति के अधीन रहेगा जिसमें तमाम संगठन, राजनीतिक दल, प्रसिद्ध समाजसेवी, बुद्धिजीवी व विभिन्न क्षेत्रों के क्रन्तिकारी शामिल होंगे ( सभी पत्रकार संगठनों के एक-एक पदाधिकारी भी )

E: कृपया इस पोस्ट को तमाम जन संगठनों बुद्धिजीवी समाजसेवियों प्रदेश के क्रांतिकारियों और उन तमाम संगठनों के पदाधिकारी तक अवश्य पहुंचाया जाए या उन्हें टेग किया जाए जो सरकार के खिलाफ अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं!

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