कोरिया : आय, जाति और निवास प्रमाण-पत्र के लिए 11 दिवसीय शिविर शुरू

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कोरिया : आय, जाति और निवास प्रमाण-पत्र के लिए 11 दिवसीय शिविर शुरू

कोरिया ,16 जुलाई 2025 : जिला प्रशासन द्वारा विद्यार्थियों और जरूरतमंद नागरिकों को समय पर आय, जाति और निवास प्रमाण-पत्र उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 11 दिवसीय विशेष शिविर अभियान की शुरुआत की गई है। कलेक्टर चन्दन त्रिपाठी के निर्देशानुसार, अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व), बैकुण्ठपुर ने जिले के विभिन्न संकुल स्तरों पर तत्काल शिविर आयोजित करने के आदेश जारी किए हैं।

अभियान के तहत 15 जुलाई से 30 जुलाई 2025 तक जिले भर के संकुलों में शिविर लगाकर प्रमाण-पत्र के लिए आवेदन लिए जा रहे हैं। बिशनपुर और सलका संकुल में आज लगाए गए शिविरों का अधिकारियों ने निरीक्षण किया और दो दिवस में 200 से अधिक आवेदन प्राप्त होने की जानकारी दी। प्रत्येक आवेदन का सावधानीपूर्वक परीक्षण कर शीघ्र प्रमाण-पत्र जारी किए जाएंगे।

शिविर का उद्देश्य-सेवा को घर के करीब लाना

कलेक्टर त्रिपाठी ने कहा कि, ‘प्रमाण-पत्र की समय पर उपलब्धता विद्यार्थियों के प्रवेश और छात्रवृत्ति जैसे कार्यों के लिए अत्यंत आवश्यक है। इसी कारण यह शिविर लगाए जा रहे हैं।‘ उन्होंने सभी संकुल प्रभारियों को निर्देशित किया कि प्रत्येक आवेदक को दस्तावेजों की पूर्ण जानकारी दें और यदि कोई दस्तावेज अधूरा हो तो समय पर सूचना देकर सुधार कराएं।

बैकुण्ठपुर के अनुविभाग के इन स्थानों व तिथियों में लगेगी शिविर –

17 जुलाई को बिशुनपुर, सरड़ी, खरवत, कोसमपारा आनी, 18 जुलाई को कन्या बैकुण्ठपुर, रामापुर बैकुण्ठपुर, मॉडल बैकुण्ठपुर, महलपारा, 21 जुलाई को जमगहना, तरगवां, 22 जुलाई को बालक पटना, सांवांरावां कन्या पटना, बरदिया, 23 जुलाई को बरदिया, सोरगा, टेंगनी, 25 जुलाई को कटकोना, मुरमा, अंगा, 28 जुलाई को रनई डुमरिया, 29 जुलाई को छिंदिया, कुड़ेली, बुडार, 30 जुलाई को भखार, जामपानी एवं झरनापारा में शिविर का आयोजन किया जाएगा।

सोनहत में भी लगेंगे शिविर, एसडीएम को दिए निर्देश

कलेक्टर ने जानकारी दी कि इसी तरह सोनहत अनुविभाग में भी शीघ्र शिविर लगाए जाएंगे। साथ ही, दोनों एसडीएम को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग एवं निवास प्रमाण-पत्रों की निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार पूरी जांच के बाद ही जारी किया जाए। उन्होंने कहा, ‘हड़बड़ी में प्रमाण-पत्र बनाने से न केवल प्रशासनिक समस्याएं आती हैं, बल्कि लाभार्थियों का समय भी व्यर्थ होता है।‘

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